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गोरखपुर: 11 करोड़ का सम्पत्ति कर बकाया न जमा करने पर नगर निगम ने बिजली निगम के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है. दो टूक कहा है कि जब तब सम्पत्ति कर का भुगतान नहीं होगा, बिजली का बिल भी जमा नहीं करेंगे. तकरीबन 80 से 90 लाख रुपये मासिक बिजली का बिल नगर निगम, बिजली निगम को अदा करता है.
मौजूदा वित्तीय वर्ष खत्म होने को है. लिहाजा नगर निगम पर केंद्र सरकार के विभागों से सर्विस शुल्क और राज्य सरकार के विभागों से सम्पत्तिकर का जमा कराने का दबाव है. इस कड़ी में कई दौर की वार्ता के बाद 11 करोड़ के सर्विस टैक्स के बकाए में बिजली निगम को बिल भुगतान करने से नगर निगम ने मना कर दिया है.
इन विभागों पर बकाया है सर्विस कर एवं सम्पत्ति कर पूर्वोत्तर रेलवे पर 19.98 करोड़ और डाक विभाग का एक करोड़ का सर्विस टैक्स बकाया है. डीडीयू 7.50 करोड़, लोक निर्माण विभाग पर 2.30 करोड़, जीडीए पर 3.50 करोड़, पुलिस विभाग पर 1.30 करोड़, फॉरेसिक लैब पर 58 लाख रुपये सर्विस टैक्स बकाया है. मुख्य कर निर्धारण अधिकारी विनय राय के मुताबिक डीडीयू ने 1.50 करोड़ रुपये जमा कराए हैं. 2023-24 वित्त वर्ष में सम्पत्तिकर एवं सर्विस कर समेत अन्य मदों में 70 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य निर्धारित था. निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष 53 करोड़ रुपये अब तक वसूल किए गए हैं.
केंद्र के कार्यालय सर्विस कर और राज्य सरकार के कार्यालय सर्विस कर का वर्षों से भुगतान नहीं कर रहे हैं. बिजली विभाग पर बड़ी रकम बकाया है, इसलिए नगर आयुक्त के निर्देश पर बिजली का बिल रोकने का निर्णय लिया गया.
- दुर्गेश मिश्रा, अपर नगर आयुक्त