उत्तर प्रदेश

एक चिता पर मां दो कब्र में भाई तीन कब्र में बहन एक साथ हो गये दफन

Admin Delhi 1
16 Jun 2023 4:34 AM GMT
एक चिता पर मां दो कब्र में भाई तीन कब्र में बहन एक साथ हो गये दफन
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कुशीनगर: जनपद के नगर पंचायत रामकोला वार्ड नं 2 बापू नगर ग्राम उर्दहा तहसील कप्तानगंज, थाना रामकोला में बीते 15 जून दिन गुरुवार की रात 12 बजे अज्ञात कारणों से लगी आग में नौमी पुत्र सरजू के घर में नौमी पत्नी संगीता उम्र लगभग 38 ,अंकित उम्र 10 साल, लक्ष्मीना उम्र 9 साल ,रीता उम्र 3 साल, गीता उम्र 2 साल, बाबू उम्र 1 साल की जलने से मृत्यु हो गई। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने प्रत्येक मृतक सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए चार चार लाख रुपया की आर्थिक सहानुभूति प्रदान किए हैं।

उक्त घटना से आहत मन में एक प्रसिद्ध फ़िल्म "संबंध" कवि प्रदीप की लिखी गीत याद आ गयी हैं "चल अकेला चल अकेला..तेरा मेला पीछे छूटा राही...चल अकेला" आज जैसे छूटता और टुटता इंसान किस मोड़ पर जाकर खड़ा हो गया है। आज ऐसे टूटते रिस्ते दरकती जीवन हर इनसान को सोचने के लिए बरबस लाचार कर दिया हैं । रामकोला में हुई घटना को लेकर मेरा अपना तर्क सोच यह हैं कि उक्त घटना पर कभी किसी ने नही सोचा होगा कि एक दिन एक रात रामकोला में हृदय विदारक घटना नगर में मानवता को झकझोर कर रख देगी नही..न !

अब इसके पीछे जीवन में भागमभाग प्रतिस्पर्धा में भूल रही मानवता आपस में बढ़ती दूरियां हम सब इंसान को अब घड़ी से थोड़ा समय निकालकर पीछे मुड़कर देखने सोचने और विचार करने सहमति जताने का वक्त कह रहा हैं, क्यो कि उक्त मार्मिक घटना इंसान को संवेदन शून्य बनाते हुए सवाल छोड़ गयी हैं। फिर भी इंसान विचार ना करे तो इसमें भगवान का क्या दोष है, अचानक 12:00 बजे रात में अज्ञात कारणों से लगी आग बहुत सवाल छोड़ गई है कहीं ना कहीं पारिवारिक समभाव का अभाव आपसी मनमुटाव आदि अज्ञात कारण हो सकते हैं क्योंकि आजकल सिर्फ रामकोला ही नहीं जनपद में अज्ञात कारणों से तमाम घटनाएं हो रही हैं, लोग समाचार पत्रों में पढ़ भी रहे हैं, लेकिन लोग हैं एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दे रहे हैं। कोई एक दूसरे की घटना से ना मतलब रख रहा हैं ना ही कोई सरोकार दिख रहा है और तो और मानव से मानव की रिस्तो में दरार बहुत बढ़ रही है, यही हस्तक्षेप न होना कही न कही वजह है कि हर घरों में एक एक सवाल पर विवाद मनमुटाव घरेलू अपराध का कारण बन रहा, पर्दे के पीछे समाज में अकेलापन असहयोग जहां कोई सरोकार नही, ऐसी तमाम विंदुओं पर समाज को आगे आकर एक दूसरे से मिलकर मंथन करने की जरूरत है,अज्ञात घटना आर्थिक तंगी हो या परिवार में आपसी मनमुटाव आदि विभिन्न फलको पर विचार करने की जरूरत है ताकि आने वाले समय में लोगों को दिल दहला देने वाली हृदय विदारक जैसे दूर दिन ना देखना पड़े चुकी एक साथ परिवार के परिवार का सफाया बड़ी दुखद पहलू है ऐसी अति संवेदनशील घटनाओं पर समाज के हर व्यक्ति को एक दूसरे से जोड़कर देखने समझने महशुस करने की अब समय का पुकार रही हैं।

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