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उत्तर प्रदेश
संस्कृति व संस्कार की संवाहक होती हैं मां-बहनें, हथियाराम मठ में बोले RSS काशी प्रांत प्रचारक रमेश
Shantanu Roy
10 Sep 2022 6:01 PM GMT
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बड़ी खबर
गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर स्थित हथियाराम मठ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी ने शनिवार को कहा कि यह सिद्धपीठ महान है यहां मातृभूमि की पूजा होती है। इस सिद्धपीठ का संकल्प है कि '' भला हो जिसमें देश का वह काम सब किए करो'' ऐसे में यह पीठ केवल एक अध्यात्मिक पीठ नहीं बल्कि राष्ट्रपीठ के रूप में स्थापित है। हथियाराम मठ पर पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी द्वारा आयोजित 27वें चातुर्मास महानुष्ठान के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए काशी प्रांत प्रचारक ने कहा कि जिस राष्ट्र में नियमित रूप से मातृभूमि की पूजा होती रहेगी, दुनिया की कोई ताकत उस देश को परास्त नहीं कर सकती। दुनिया में 200 से अधिक देश हैं जिनकी अलग-अलग महत्ता, सत्ता व प्रसिद्धि का कारण हैं लेकिन भारत एक ऐसा देश है जिसकी प्रसिद्धि, सिद्धि व ताकत अध्यात्म शक्ति है। सैकड़ों आक्रांताओं द्वारा सैकड़ों आक्रमण देश पर हुए लेकिन उसके बाद भी आक्रांता भारत की शक्ति को समाप्त नहीं कर सके वह शक्ति अध्यात्म शक्ति ही है। अध्यात्म शक्ति ही एक ऐसी शक्ति है जो भारत की परंपरा को बचाए रखती है और यह सिद्धपीठ अध्यात्म शक्ति पर जागृत है।
उन्होंने कहाकि स्वाधीनता का 75 वां वर्षगाठ अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है, जिसकी पूर्णाहुति वर्ष चल रही है। उन्होंने कहा '' आज हमें संकल्प लेने की जरूरत है स्वधर्म के प्रति, स्वसंस्कृति के प्रति राष्ट्र के आन बान शान के प्रति समर्पण ही पूर्णाहुति का संदेश है। इसके साथ ही उन्होंने सिद्धपीठ द्वारा आयोजित चातुर्मास महानुष्ठान के पूर्णाहुति में अपने विकारों का, अपने कुविचारों का, अपने कुसंस्कारों का और अपने उन विचार व्यवहार जिससे देश की एकता अखंडता खतरे में पड़ती हो उनकी आहुति देने का संकल्प किया। उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहाकि माताएं बहने ही लोगों को संस्कार देती हैं। आध्यात्मिक कार्यों में प्राय: लगे रहने की वजह से आध्यात्मिक की प्रेरणास्रोत भी मा बहनें ही होती हैं। ऐसे में आप ही हमारे संस्कृति व संस्कार की संवाहक हैं।''
रमेश ने सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर महाराज को परम संत बताते हुए कहा कि उनका दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दुनिया के सबसे संगठन के मुखिया मोहन भागवत जी भी यहां आने व महाराजश्री का दर्शन पाने का इंतजार करते रहे। देश के अंदर बहुत से मठ-मंदिर और आश्रम है, परन्तु यह मठ अध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र शक्तिपीठ है। यहां से जो जितना जुड़ता है, वह उतना ही जुड़ता चला जाता है। साधना के केन्द्र इस मठ से जुड़ना राष्ट्र के जुड़ने का उपक्रम साधन है। पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नंदन यति महाराज ने चातुर्मास की व्याख्या करते हुए बताया कि चातुर्मास, सनातन वैदिक धर्म में आहार, विहार और विचार के परिष्करण का समय है। चातुर्मास संयम और सहिष्णुता की साधना करने के लिए प्रेरित करने वाला समय है। इसका सिफर् धार्मिक महत्व ही नहीं है। इस दौरान तप, शास्त्राध्ययन एवं सत्संग आदि करने का तो विशेष महत्व है ही, सभी नियम सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक द्दष्टि से भी बड़े उपयोगी हैं। चातुर्मास धर्म, परम्परा, संस्कृति और स्वास्थ्य को एक सूत्र में पिरोने वाला समय माना जाता है।
चातुर्मास संयम को साधने का संदेश देता है। बढ़ती असंवेदनशीलता के समय में संयम की यह साधना और भी आवश्यक हो जाती है। संयमित आचरण से हम न केवल मन को वश में करना सीखते हैं, बल्कि हमें धैर्य और समझ भरा व्यवहार करना भी आता है। उन्होंने बताया कि चातुर्मास ऐसा अवसर है, जिसमें हम खुद अपने ही नहीं औरों के अस्तित्व को भी स्वीकार कर उसे सम्मान देने के भाव को जीते हैं। स्वास्थ्य की देखभाल और जागरूकता के लिए भी चातुर्मास का बड़ा महत्व है। चातुर्मास धार्मिक द्दष्टि से ही नहीं, बल्कि आरोग्य विज्ञान व सामाजिक द्दष्टि से भी महत्वपूर्ण है। अध्यात्म जगत में तीर्थस्थल के रूप में स्थापित सिद्धपीठ हथियाराम मठ के 26वें पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनन्दन यति जी महाराज के 27वें चातुर्मास महानुष्ठान का शनिवार को भाद्र पद पूर्णिमा के अवसर पर समापन हुआ। चातुर्मास महाव्रत के पूर्णाहुति पर हवन-पूजन और प्रवचन के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों शिष्य-श्रद्धालुओं ने पुण्य-लाभ की कामना के साथ महाप्रसाद ग्रहण किया।
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