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जिले में डेढ़ लाख से अधिक लोग अस्थमा रोगी, यह सावधानी बरतें
गाजियाबाद न्यूज़: आईएमए के मुताबिक देश में अस्थमा के सबसे ज्यादा मामले एनसीआर में हैं. यूपी की बात करें तो अस्थमा के मामले में गाजियाबाद टॉप पर है. जिले में करीब डेढ़ लाख अस्थमा के रोगी हैं. इनमें करीब पांच प्रतिशत बच्चे शामिल हैं. इसकेअलावा जिन मरीजों को कोरोना हुआ था, उनमें से कुछ मरीजों में अस्थमा की शिकायत पाई गई है.
आईएमए भवन में का आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश कोषाध्यक्ष एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष अग्रवाल ने बताया कि भारत में अस्थमा के 3.6 करोड़ मरीज हैं. भारत में अस्थमा से पूरे विश्व की 42 प्रतिशत मौत होती हैं. उनका कहना है कि देश भर में हर साल अस्थमा के मरीजों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है.
अस्थमा दो वर्ष के बच्चे से लेकर 90 वर्ष के बुजुर्ग को कभी भी हो सकता है. अपने जिले में अस्थमा के सबसे ज्यादा मरीज 25 से 40 आयु वर्ग में हैं. डॉ. आशीष अग्रवाल बताया कि उपचार के बेहतर संसाधन होने के चलते गाजियाबाद में अस्थमा से मौत का प्रतिशत न के बराबर है.
इन्हेलर के बाद कुल्ला जरूर करें
अस्थमा में प्राणायाम जरूरी
डॉ. आशीष अग्रवाल ने बताया कि अस्थमा के 50 से 60 फीसदी मामले अनुवांशिक होते हैं. यह एक एलर्जी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है. इसके लिए बच्चों को प्राणायाम करने की आदत डालनी चाहिए. प्राणायाम से फेफड़े और सांस की नली के संक्रमण होने की आशंका 70 प्रतिशत तक घट जाती है.
प्रदेश सचिव एवं वरिष्ठ फिजिशियन डा. वीबी जिंदल ने बताया कि अस्थमा में इन्हेलर से फौरी तौर पर आराम मिल जाता है, लेकिन इनका इस्तेमाल संभलकर करना चाहिए. इन्हेलर के ज्यादा प्रयोग या लापरवाही से बीमारी गंभीर भी हो सकती है. इन्हेलर लेने के बाद कुल्ला जरूर करना चाहिए और केवल बताई गई मात्रा में ही इन्हेलर लेना चाहिए.
गर्भवती को सतर्क रहना चाहिए
वरिष्ठ स्त्रत्त्ी रोग विशेषज्ञ डॉ. वाणी पुरी रावत ने बताया कि यदि गर्भवती महिला को अस्थमा है तो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए घातक होता है. इसके कारण बच्चे का विकास प्रभावित होता है और उसकी मौत भी हो सकती है. गर्भवती महिलाओं को इससे बहुत सतर्क रहने की जरूरत है. स्टडी बताती हैं कि गर्भवास्था में अस्थमा बढ़ता और घटता भी है. कई मामलों तो हार्मोनल बदलाव के चलते अस्थमा खत्म भी हो जाता है.
यह सावधानी बरतें
●धूम्रपान बंद करें और धूम्रपान क्षेत्रों से बचें
●प्रदूषण से दूर रहें
●नियमित व्यायाम करें
●घर में धूल, धुआं, सीलन ना होने दें
●शुरुआती लक्षणों का पता चलने पर डॉक्टर से संपर्क करें