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वाराणसी न्यूज़: जनपद में एक तरफ हजारों बच्चे टीकाकरण से वंचित हो जाते हैं. वहीं आधे से ज्यादा वैक्सीन की बर्बाद इसलिए हो जाती है कि स्वास्थ्यकर्मी उनका समय पर इस्तेमाल नहीं करते हैं. वैक्सीन का वायल खोलने के बाद कब और कितने बच्चों को लगाना है, इस गणित में फेल हो जाते है. लिहाजा वैक्सीन की बर्बादी दर बढ़ती जाती है. यह रिपोर्ट तब सामने आयी जब प्रदेश शासन ने सभी जिलों में वैक्सीन बर्बादी की रिपोर्ट जारी कर जिम्मेदरों को फटकार लगाई.
जनपद में टीका बर्बादी की स्थिति यह कि बीसीजी (बैसिलस कैलमेट-गुएरिन) यानी टीबी से रोकथाम के लिए लगने वाली वैक्सीन का वेस्टेज रेट (बर्बादी दर) 65 फीसदी है. यह आंकड़ा अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक का है. यह टीका बच्चों को जन्म के समय लगाया जाता है. एक वायल में 10 बच्चों को लगाने के लिए यह टीका होता है. एक बार खोलने पर यह दो से आठ डिग्री सेल्सियल तापमान पर आठ घंटे सुरक्षित माना जाता है. यही टीका निजी अस्पतालों में 100 से 150 रुपये में आता हैं.
चौकाघाट में रखते हैं वैक्सीन
अधिकारियों के मुताबिक लखनऊ से चौकाघाट स्थित जिलास्तरीय वैक्सीन स्टोर सेंटर में वैक्सीन रखी जाती है. यहां से अस्पतालों, जच्चा-बच्चा केंद्र व सीएचसी-पीएचसी पर भेजी जाती है. बीसीजी टीका का वायल खुलने के बाद आठ घंटे तक सुरक्षित रखा जा सकता है. बाकी टीके 28 दिनों तक सुरक्षित रहते हैं.
पूर्वांचल में सबसे कम टीका की बर्बादी बनारस में होती है. बीसीजी टीका की बर्बादी औसत 50 होती है. वहीं बाकी 28 दिन चलाए जाते हैं. यदि टीकों में बर्बादी का दर अधिक है तो गंभीर बात है. - निकुंज वर्मा,
जिला टीकाकरण अधिकारी
अन्य टीकों की बर्बादी
● डायरिया से बचाव के लिए लगने वाला आरडब्ल्यू टीका- 12 फीसदी
● खसरा, कंठमाला व रूबेला से बचाव वाला एमआर टीका- 27 फीसदी
● टिटनस से प्रतिरक्षण के लिए लगने वाली डीपीटी वैक्सीन-14 फीसदी
● पोलियो से बचाव को इंजेक्शन से दी जाने वाली वैक्सीन-35 फीसदी
वैक्सीन की बर्बादी में मानी जा रही है स्वास्थ्यकर्मियों की शिथिलता, शासन की ओर से जारी किया गया है यह आंकड़ा, जिम्मेदारों को फटकार भी लगाई गई
बच्चों को ये लगता है टीका
● शिशु के जन्म पर बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी, ओपीवी
● छठे हफ्ते पर बीओपीवी-1, पेंटावेलेंट-1, ए़फआई पीवी-1, रोटा-1, पीसीवी-1
● 10वें सप्ताह पर बीओपीवी-2, पेंटावेलेंट-2 और रोटा-2
● 14वें सप्ताह पर बीओपीवी-3, पेंटावालेंट-3, ए़फआईपीवी-2, रोटा-3 और पीसीवी-2
● नौ से 12वें माह पर एमआर-1, पीसीवी बूस्टर, ए़फआईपीवी-3 व विटामिन-ए की पहली खुराक
● 16 से 24 माह पर एमआर-2, डीपीटी बूस्टर 1, बीओपीवी बूस्टर और विटामिन-ए की दूसरी खुराक
● 5 से 6 वर्ष पर डीपीटी बूस्टर 2
● 10 व 16 वर्ष पर टीडी का टीका