उत्तर प्रदेश

पुरानी संसद में खूब गूंजी थी मुरादाबाद की आवाज

Harrison
22 Sep 2023 1:42 PM GMT
पुरानी संसद में खूब गूंजी थी मुरादाबाद की आवाज
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उत्तरप्रदेश | समाजवादी पार्टी के सांसद डाक्टर एसटी हसन ने कहा कि सदन में उन्होंने पहले भी मुरादाबाद की तमाम समस्याओं को रखा है. नए संसद भवन में भी वह लोगों की आवाज को बुलंद करेंगे. सांसद ने यादें साझा करते हुए कहा कि जब वह 2019 में चुनाव जीतने के बाद पहली बार संसद पहुंचे थे. मुलायम सिंह यादव ने सीख दी थी कि चाहे पक्ष में रहें या विपक्ष में राजनीति सकारात्मक होनी चाहिए.
मेरे कार्यकाल में मंजूर हुआ था काशीपुर मुरादाबाद मार्ग
मुरादाबाद से 2014 में सांसद चुनकर पुराने संसद भवन में पहुंचे सर्वेश सिंह ने बताया कि अर्से बाद भाजपा की सरकार बनी वह भी पूर्ण बहुमत की. माहौल अलग था. हम लोगों को अवसर मिला तो सदन में अपने क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से रखा. मुरादाबाद काशीपुर मार्ग की मंजूरी मैंने ही करवाई थी. बजट भी रिलीज हो गया था. नितिन गड़करी ने मेरी बात सुनी और इस मार्ग के चौड़ीकरण के लिए राजी हो गए.
ऐतिहासिक संसद भवन अब इतिहास बन गया. इस संसद भवन से मुरादाबाद की भी तमाम यादें जुड़ी हैं. मुरादाबाद के सांसदों ने पुराने भवन में मुरादाबाद के लोगों की बात रखी. कुछ सांसद ज्यादा मुखर रहे तो कुछ कम सक्रिय पर मुरादाबाद को अब तक कोई बहुत बड़ा तोहफा नहीं मिल सका. उम्मीद है कि नए संसद भवन में चुन कर जाने वाले सांसद मुरादाबाद के लिए कुछ ऐसा ऐतिहासिक तोहफा दिलवाएंगे जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा. मुरादाबाद के वर्तमान से लेकर पूर्व के सांसदों से हिन्दुस्तान ने बातचीत की जिसमें सभी ने विचार साझा किए.
मैंने मुरादाबाद से दिल्ली तक शताब्दी चलवाई
तेरहवीं लोकसभा में मुरादाबाद से सांसद चुन कर पहुंचे चंद्र विजय सिंह ने नए संसद भवन को लेकर खासे उत्साहित दिखे. उन्होंने अपनी पुरानी यादें भी साथा कीं. उन्होंने बताया कि मैं जब सांसद बना तो मुरादाबाद में सुपर फास्ट ट्रेन की बड़ी समस्या थी. उस वक्त नितीश कुमार रेल मंत्री हुआ करते थे. मुरादाबाद की इस समस्या पर उन्होंने संज्ञान ले ट्रेन चलवाई थी.
पूर्व सांसद अजहरुद्दीन ने उठाई थी दस्तकारों की समस्या
पूर्व सांसद मोहम्मद अजहरुद्दीन मुरादाबाद से 2009 में जीते थे. उन्होंने सदन में पहुंच कर कहा था कि मैंने मुरादाबाद में एक पीतल दस्तकार को रिक्शा चलाते देखा तो उससे पूछा अपना काम क्यों छोड़ दिया तो उसने कहा कि काम अब रहा नहीं. कच्चा माल महंगा है लागत ज्यादा आती. मेहनताना कम मिलता है. ऐसे में उन्होंने पीतल दस्तकारों और नियार्तकों की बात को रखा था.
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