उत्तर प्रदेश

Moradabad: मिनटों में बिन बिजली साफ हो जाएगा नाले का पानी, जाने पूरी खबर

Admindelhi1
13 Jan 2025 6:41 AM GMT
Moradabad: मिनटों में बिन बिजली साफ हो जाएगा नाले का पानी, जाने पूरी खबर
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"बिना बिजली मिनटों में सूरज की रोशनी में साफ करने का रास्ता मिल गया"

मुरादाबाद: दुनियाभर में विभिन्न औद्योगिक इकाइयों से निष्कासित प्रदूषित जल को बिना बिजली मिनटों में सूरज की रोशनी में साफ करने का रास्ता मिल गया है. चौ. चरण सिंह विवि के भौतिक विज्ञान के शोधार्थियों ने प्रकृति के अनुकूल नैनो संघटकों से एक मैम्ब्रेन (झिल्ली) विकसित की है, जो बिना बिजली के ही प्रदूषित जल से अतिरिक्त एवं प्रदूषित कणों को हटा देगी. इस मैम्ब्रेन से निकला पानी साफ होगा. मैम्ब्रेन में रुके प्रदूषक विभिन्न गैस और गाद में बदल जाएंगे. इस प्रक्रिया में ऐसा कोई पदार्थ प्रयुक्त नहीं होगा, जो प्रदूषण फैलाए या पर्यावरण के प्रतिकूल हो. क्रांतिकारी मानी जा रही इस रिसर्च को जर्मनी के प्रतिष्ठित जर्नल एडवांस्ड साइंस न्यूज ने नैनो-माइक्रो स्माल जर्नल में प्रकाशित किया है. जर्नल का इम्पैक्ट फैक्टर 13 है.

इन्होंने किया यह कमाल: प्रो. संजीव कुमार शर्मा के निर्देशन में यह काम शोधार्थी दीपक कुमार ने किया है. प्रो. संजीव के अनुसार दीपक ने सीटीसी नैनोकंपोजिट तैयार किए हैं. सीटीसी में सेरियम डॉइ-ऑक्साइड (सीईओटू) और टाइटेनियम डॉइऑक्साइड (टीआईओटू) घटक हैं. सीईओटू पर्यावरण अनुकूल एवं एंटी ऑक्सीडेंट है जो हानिकारक प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों को बेअसर करता है. टीईओटू सर्वश्रेष्ठ उत्प्रेरक है और यह कार्बनिक प्रदूषकों को पानी, कार्बन-डाई-ऑक्साइड एवं हानिरहित पदाथों में तोड़ देता है. प्रो. संजीव के मुताबिक इन घटकों से झिल्लीनुमा कार्बन नैनोट्यूब विकसित की है. इसमें नैनो घटकों को कॉटन पर लगाया गया है.

ऐसे काम करेगी यह तकनीक: दीपक कुमार के अनुसार नैनो संघटकों से विकसित मैम्ब्रेन से औद्योगिक इकाइयों का निष्कासित जल प्रवाहित किया जाएगा. जैसे से ही यह जल इस विशिष्ट मैम्ब्रेन से गुजरेगा तो प्रदूषक उक्त नैनो संघटकों के संपर्क में आने से जल से अलग होकर टूट जाएंगे. इससे कुछ गैस निष्कासित होगी और कुछ ठोस गाद के रूप में नीचे बैठ जाएंगे.

इसलिए महत्वपूर्ण है यह तकनीक: प्रो. संजीव कुमार के अनुसार यह तकनीक दुनियाभर में औद्योगिक इकाइयों से निष्कासित जल को प्राकृतिक तरीके से बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का रास्ता खोल देगी. यह बेहद खिफायती होगी और इसे टेस्ट के दौरान पांच बार प्रयुक्त किया गया. प्रो.संजीव शर्मा के अनुसार विवि ने इसका पेटेंट फाइल कर दिया है.

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