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Moradabad: विकास कार्य कराने के नाम पर 5.85 लाख रुपये का गबन
मुरादाबाद: विकास कार्यों के नाम पर ग्राम प्रधान और सचिव ने 5.85 लाख का घोटाला किया है. यह राशि ग्राम प्रधान ने ग्राम पंचायत के खाते से अपने परिवार के सदस्यों के नाम से निकाली है. इसमें सचिव को बराबर का दोषी माना गया है. जांच अधिकारियों की रिपोर्ट आने के बाद डीएम के आदेश पर डीपीआरओ ने दोनों को अपना अंतिम पक्ष रखने के आदेश दिए हैं, यदि जवाब नहीं आता है तो फिर आगे की नियमानुसार कार्रवाई होगी. ग्रामीणों द्वारा इस प्रकरण में प्रधान व सचिव की शिकायत की गई थी.
अरनियां ब्लॉक के गांव देवराला माजरा रामबास निवासी विवेक प्रताप सिंह, अभिराज सिंह ने शिकायत कर ग्राम प्रधान मुनीश प्रताप सिंह व सचिव राहुल ने केंद्रीय एवं राज्य वित्त आयोग की राशि का गबन किया है. गांव के विकास कार्यों के लिए जो राशि खातों में उसे प्रधान ने अपने परिजनों के नाम पर निकाला है. वर्ष 2022-23 सत्र में यह राशि आई थी. गांव में साफ-सफाई, पंचायत भवन का सामान, नाली निर्माण व मरम्मत के लिए ईंटों की खरीद, रिक्शा मरम्मत, चूना, फागिंग और आक्सी मीटर सहित 17 बिंदुओं पर विकास के नाम खर्चा दिखाया गया था. बताया गया कि इन सभी कार्यों के लिए राशि का भुगतान संबंधित दुकानदार, भट्ठा व काम करने वालों के नाम से किया जाना चाहिए था. जांच में पाया गया कि गांव में सफाई कर्मी तैनात है और सफाई के नाम पर मोटी राशि निकाली गई.
डीपीआरओ डॉ. प्रीतम सिंह ने बताया कि डीएम द्वारा नामित दो जिला स्तरीय अधिकारियों से जांच कराई तो गबन का खुलासा हुआ है. विभिन्न विकास कार्यों के नाम पर ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा 5.85 लाख की राशि नियम विरुद्ध ग्राम पंचायतों के खातों से निकाली गई है. उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जांच तैयार कर उसे डीएम के सामने प्रस्तुत किया है, प्रकरण में ग्राम प्रधान व सचिव पर अब कार्रवाई होगी, मगर इससे पहले ग्राम प्रधान-सचिव को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगते हुए अपना अंतिम पक्ष रखने के लिए निर्देश दिए हैं. 15 दिनों के भीतर नोटिस का जवाब यदि इनके द्वारा नहीं दिया जाता है फिर आगे विभागीय कार्रवाई की जाएगी. जितनी राशि का गबन हुआ है उसकी रिकवरी भी होगी.
प्रधान-सचिव की जांच पूरी हो गई है. 5.85 लाख का गबन हुआ है. दोनों को नोटिस जारी कर दिया है. डीएम को पूरे प्रकरण से अवगत करा दिया है. विभाग द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी. -डा. प्रीतम सिंह, डीपीआरओ