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बरेली न्यूज़: बंदरों के हमले का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. शहर से लेकर देहात तक, बंदरों के हमले में लोग घायल हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो हर माह औसतन 1500 लोगों को बंदरों ने काटा है. बीते छह माह में करीब नौ हजार लोग बंदरों के काटने से घायल हो चुके हैं और यह खतरा बढ़्ता ही जा रहा है. नगर निगम बंदरों को पकड़ने में नाकाम साबित हुआ है और उसकी नाकामी का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
कुत्ते की तरह ही बंदर के काटने से भी रेबीज संक्रमण होने की आशंका होती है. ऐसे में बंदर काटने पर मरीज को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाना जरूरी हो जाता है. रेबीज के मरीजों की जानकारी जुटाने, उनको बेहतर चिकित्सा सुविधा देने के लिए ही बीते साल से शासन ने कुत्ता-बंदर, बिल्ली-सियार काटे मरीजों का डाटा जुटाने का निर्देश दिया है. इस साल जनवरी से जून तक करीब नौ हजार लोगों को बंदरों ने काटा है जो एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने 300 बेड अस्पताल में संचालित हो रही एंटी रेबीज क्लीनिक आए हैं. इस तरह हर माह औसतन 1500 लोग बंदरों के काटने से घायल हो रहे हैं.
यहां खतरा अधिक: बंदरों के हमले से सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में राजेंद्रनगर, माडल टाउन, सुभाषनगर, किला, कर्मचारीनगर और महानगर है. किला इलाके में साहूकारा, फुटा दरवाजा, जनकपुरी कालोनी, नेहरूपार्क कालोनी, लल्ला मार्केट में भी बंदरों के हमले की घटनाएं अधिक होती हैं. यहां बंदरों से बचाव के लिए जाल लगा है.
माह घायल मरीज:
जनवरी 983
फरवरी 1823
मार्च 1544
अप्रैल 1304
मई 1316
जून 1935