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उत्तर प्रदेश
वकालत छोड़ मोइनुद्दीन ने शुरू की फूलों की खेती, अब सालाना 75 लाख का है टर्नओवर
Deepa Sahu
28 May 2022 12:26 PM GMT
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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के फूलों की खुशबू से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के बाजार गुलजार हो रहे हैं.
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के फूलों की खुशबू से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के बाजार गुलजार हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से बागबानी मिशन के तहत मिले अनुदान की मदद से जिले में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती करने वाले किसान मोइनुद्दीन ने अपने इस हुनर से खुद के साथ जिले के सैकड़ों किसानों की तकदीर को बदल दिया है. देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी किसान मोइनुद्दीन से काफी प्रभावित हुए और उन्हें सम्मानित भी कर चुके हैं. देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी मोइनुद्दीन की सराहना कर चुके हैं. मोइनुद्दीन ने यूपी में पहला पॉली हाउस लगाया, इसलिये उन्हें पॉली हाउस का जनक भी कहा जाता है. आज पॉली हाउस में जरबेरा के फूलों की खेती से उनका सालाना टर्न ओवर 70 से 75 लाख के आसपास है.
फूलों की खेती बन गई गांव की पहचान
मोइनुद्दीन बाराबंकी जिले के अपने पुश्तैनी गांव देवा ब्लॉक के दफेदार पुरवा में फूलों की खेती करते हैं. लखनऊ से एलएलबी पास करने के बाद मोइनुद्दीन का मन जब वकालत की प्रैक्टिस में नहीं लगा तो वह अपने गांव चले आए और यहां खेती की शुरुआत की. परम्परागत खेती में कोई खास फायदा न मिलने के बाद उन्होंने फूलों की खेती शुरू की. उन्होंने सबसे पहले एक बीघा खेत में विदेशी ग्लेडियोलस फूलों की खेती शुरू की थी. इससे मिले अच्छे मुनाफे ने बाकी किसानों का ध्यान भी इस खेती की ओर खींचा.
मोईनुद्दीन से सलाह और मार्गदर्शन लेकर गांव के कुछ किसानों ने भी इस खेती में अपना हाथ आजमाया और अच्छी आय ने उनका हौसला बढ़ाया. देखते ही देखते पूरा गांव ग्लेडियोलस की खेती करने लगा, जिसके चलते इस गांव को फूलों की खेती वाले गांव के नाम से भी जाना जाता है. यहां 2002 में मोइनुद्दीन ने सबसे पहले ग्लेडियोलस के फूलों की खेती की जिसमें दुगना मुनाफा हुआ. इसके बाद 2009 में यूपी का पहला पॉली हाउस लगाया और इसमें विदेशी फूल जरबेरा के फूलों की की खेती शुरू की. आज इस खेती में उन्हें काफी अच्छा मुनाफा मिल रहा है.
खुद किसान मोइनुद्दीन ने बताया कि ग्लेडियोलस फूलों की खेती के बाद उन्होंने फूलों की खेती के क्षेत्र में कुछ बड़ा करने का मन बनाया और उन्होंने उद्यान विभाग से बागबानी मिशन के तहत सरकारी सब्सिडी लेकर हॉलैंड के विदेशी फूल जरबेरा की खेती के लिए यूपी में पहला पाली हाउस लगाया. इस समय उन्होंने सरकारी अनुदान से 4000 वर्ग मीटर में कुल तीन पॉली हाउस लगवा लिए हैं.
मोइनुद्दीन ने बताया कि इन पॉली हाउस में जरबेरा के फूलों की खेती से उनका सालाना टर्न ओवर 70 से 75 लाख के आसपास है. इस पॉलीहाउस को एक हजार वर्ग मीटर जमीन पर लगाने की लागत लगभग 15 लाख रुपये आती है, जिसमे 35 से 50 फीसदी रकम राज्य सरकार बतौर सब्सिडी वापस करती है. आज मोइनुद्दीन ने न सिर्फ अपने खेतों में रंग बिरंगे विदेशी फूल उगाकर गांव के चारों तरफ उसकी महक बिखेरी है, बल्कि उस महक के साथ-साथ अब तक हजारों लोगों को रोजगार भी दिया है.
किसान के लिए रुकती है ट्रेन
मोइनुद्दीन को केंद्र और प्रदेश सरकार प्रगतिशील किसान होने के नाते सम्मानित भी कर चुकी है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने मोइनुद्दीन को वाइब्रेंट गुजरात अवार्ड से नवाजा था और 2018 में दिल्ली बुलाकर सम्मनित किया था. इसके अलावा भी वह कई अवार्ड पा चुके हैं. गांव वालों में कई बार मोइनुद्दीन को दफेदार पुरवा का ग्राम प्रधान भी बनाया. मोइनुद्दीन ने बताया कि पहले वह अपने फूलों को लेकर लखनऊ की मंडी जाते थे और वहां से दिल्ली भिजवाते थे, लेकिन अब उनके निवेदन पर भारतीय रेलवे ने फतेहपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का 10 मिनट का स्पेशल स्टॉपेज कर दिया है. जिसे उनके के साथ गांव के बाकी किसानों का फूल भी दिल्ली पहुंच सके.
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