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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे 12 दिसंबर 2015 को पीएम मोदी के साथ वाराणसी आए थे। बनारस में हुए अभूतपूर्व स्वागत से शिंजो आबे गदगद थे।
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर जानलेवा हमले की खबर से वाराणसी के लोग भी सदमे में हैं। बड़ी संख्या में काशीवासी शिंजो आबे के जल्द स्वस्थ्य होने की कामना कर रहे हैं। वाराणसी के सांसद व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र ने ट्वीट कर सलामती की दुआ की है। उन्होंने लिखा कि मेरे प्रिय मित्र शिंजो अबे पर हुए हमले से बहुत व्यथित हूं। हमारे विचार और प्रार्थनाएं उनके, उनके परिवार और जापान के लोगों के साथ हैं।
पीएम मोदी और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की दोस्ती जगजाहिर है। प्रधानमंत्री रहते हुए जब शिंजो आबे भारत आए थे तो पीएम मोदी उन्हें 12 दिसंबर 2015 को वाराणसी दर्शन को लेकर आए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने दशाश्वमेध घाट पर गंगाजल हाथ में लेकर विश्व की मंगलकामना का संकल्प लिया था।
बनारस में अभूतपूर्व स्वागत से गदगद थे जापान के पूर्व पीएम
इस दौरान शिंजो आबे का भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रति स्नेह सभी ने देखा था। दोनों ने मढ़ी में बैठकर एक घंटे से अधिक गंगा आरती देखी थी। तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजों की यह यात्रा भारत की विदेश नीति का अहम हिस्सा थी, जिसने दुनिया की महाशक्तियों को अपना अहसास दिलाया था।
बनारस में हुए अभूतपूर्व स्वागत से शिंजो गदगद थे और देर तक खड़े रहकर लोगों का अभिवादन किया था। यही नहीं मोदी और शिंजो ने नदेसर पैलेस में अपने क्षेत्र के महारथी 68 खास लोगों से मुलाकात कर भविष्य की योजना का खाका भी खींचा था।
भारत जापान की दोस्ती का प्रतीक है रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर
भारत-जापान की वर्षों से चली आ रही मैत्री के प्रतीक रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर की नींव 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने रखी थी। सेंटर को सांस्कृतिक व आधुनिक समागम के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। 186 करोड़ की लागत से तैयार सेंटर शिवलिंग के आकार में निर्मित है।
खुद में एक अद्वितीय कंवेंशन सेंटर है। जिसमें जापानी और भारतीय दोनों ही प्रकार की वास्तुशैलियों का संगम दिखता है। रुद्राक्ष कन्वेंशन की डिजाइन जापान की कंपनी ओरिएंटल कंसल्टेंट ग्लोबल ने किया है। निर्माण का काम भी जापान की ही फुजिता कारपोरेशन कंपनी ने किया है। सारनाथ में भी जापानी मंदिर है।