उत्तर प्रदेश

मॉडल शॉप की लाइसेंस फीस में हुआ इजाफा, नई आबकारी नीति को मिली मंजूरी

Shantanu Roy
29 Jan 2023 9:19 AM GMT
मॉडल शॉप की लाइसेंस फीस में हुआ इजाफा, नई आबकारी नीति को मिली मंजूरी
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के लिए नई आबकारी नीति तैयार की है। राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने भी शनिवार को अपनी मंजूरी दे दी। नई आबकारी नीति में शराब और बीयर की दुकानों की लाइसेंस फीस में दस प्रतिशत बढ़ोत्तरी की गई है। साथ ही सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग से करीब 45 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य तय किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शनिवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इस दौरान कैबिनेट ने राज्य सरकार के कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किया। मंत्रिमंडल द्वारा पारित नई आबकारी नीति में किए गए प्रावधानों से देशी, अंग्रेजी और प्रीमियम ब्रांड की शराब के दामों में पांच से दस रुपये का इजाफा हो सकता है। देशी मदिरा, विदेशी मदिरा, बीयर एवं भांग की फुटकर दुकानों और मॉडल शॉप का वर्ष 2023-24 के लिए नवीनीकरण हेतु आवेदन पत्र की प्रोसेसिंग फीस और नवीनीकरण फीस में वृद्धि की गई है। मॉडल शॉप की लाइसेंस फीस दो लाख से तीन लाख कर दी गई है।
इसके अलावा गोदामों के लाइसेंस की फीस और प्रतिभूति में वृद्घि की गई है। मास्टर वेयरहाउस के पंजीकरण और नवीनीकरण फीस को भी बढ़ा दिया गया है। होम लाइसेंस के लिए मदिरा क्रय, परिवहन एवं निजी कब्जे में रखने की अधिकतम मात्रा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नई नीति में देशी एवं अंग्रेजी शराब, बीयर की दुकानों और मॉडल शॉप के खोलने और बंद होने के समय में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। मंत्रिमंडल ने औद्योगिक भूमि की आवश्यकता को सुनिश्चित कराने हेतु निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की योजना को अनुमोदित किया है। इस योजना के अन्तर्गत 2500 करोड़ रुपये के रिवॉल्विंग फण्ड का कारपस बनाया जायेगा, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 300 करोड़ रुपये का बजट प्राविधानित है। कारपस फण्ड हेतु पूर्ण धनराशि की व्यवस्था 05 वर्ष में बजट के माध्यम से कर ली जायेगी। इस योजना के अन्तर्गत 10 एकड़ से लेकर 50 एकड़ भूमि पर एमएसएमई पार्क विकसित करने वाले प्रवर्तकों को जिला कलेक्टर रेट पर भूमि के मूल्य का 90 प्रतिशत अथवा औद्योगिक पार्क को विकसित करने हेतु आवश्यक धनराशि में से जो भी कम हो, एक प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध करायी जाएगी। शेष पूंजी की व्यवस्था निजी प्रवर्तक द्वारा स्वयं के स्रोतों से अथवा बैंक से ऋण लेकर करनी होगी।
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