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राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल और शिवसेना प्रदेश अध्यक्ष ललित मोहन 20 साल पुराने मुकदमे में बरी
मुजफ्फरनगर: जिले की विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने पुलिस से मारपीट और तोड़फोड़ के 20 साल पुराने मुकदमे में सुनवाई करते हुए राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल सहित दो आरोपियों को बरी कर दिया।
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने बताया कि 23 जुलाई 2003 को थाना सिविल लाइन के दारोगा इंदरजीत सिंह ने मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था, कि मौजूदा राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल और शिवसेना राज्य प्रमुख पश्चिम उत्तर प्रदेश ललित मोहन शर्मा ने सोलजर बोर्ड में पुलिस के साथ मारपीट धक्का-मुक्की और तोड़फोड़ करते हुए लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
उन्होंने बताया कि 23 जुलाई को समाजसेवी देवराज पवार की बेटी निकिता की तेहरवीं सोल्जर बोर्ड में रखी गई थी। उसी दिन की घटना को आधार बनाते हुए मौजूदा राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल और ललित मोहन शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। एडवोकेट विनोद कुमार गुप्ता ने बताया कि घटना के मुकदमे की विवेचना दारोगा मुन्ना लाल ने की थी। उन्होंने बताया कि मुकदमे की सुनवाई विशेष एमपी एमएलए कोर्ट के जज सिविल जज सीनियर डिविजन मयंक जायसवाल ने की। नवंबर 2021 में राज्यमंत्री पर आरोप तय किए गए थे।
उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम हुआ। कोर्ट ने दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल और शिवसेना राज्य प्रमुख पश्चिमी उत्तर प्रदेश ललित मोहन शर्मा को बरी कर दिया। उन्होंने बताया कि घटना के संबंध में कोर्ट में उनकी ओर से 9 गवाह पेश किए गए।