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उत्तर प्रदेश
रेप के मामले में पूर्व विधायक शाहनवाज राणा बरी, 21 वर्ष पूर्व दिल्ली की दो सहेलियों ने कराई थी एफआईआर
Admin4
16 Nov 2022 1:10 PM GMT
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मुजफ्फरनगर। जनपद के उद्योगपति और पूर्व विधायक शाहनवाज राना को कोर्ट ने रेप के प्रयास के एक मामले में राहत देते हुए सबूत के अभाव में बरी कर दिया। 21 साल पहले दिल्ली की सहेलियों नें पूर्व विधायक सहित 3 लोगों पर ज्यादती का आरोप लगाते हुए एफआइआर कराई थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पूर्व विधायक सहित तीनों आरोपियों को बरी कर दिया।
दिल्ली निवासी एक युवती ने पूर्व विधायक शाहनवाज राणा पर मीनाक्षी चौक के समीप उनके साथियों सहित रेप के प्रयास का आरोप लगाया था। अभियोजन के अनुसार थाना सिविल लाइन में दिल्ली निवासी युवती ने 5 अक्टूबर 2001 को एफआइआर दर्ज कराते हुए बताया। कि तब से कुछ दिन पहले उसे और उसकी सहेली को एक दोस्त ने शाहनवाज राना से मिलवाया था। आरोप लगाया था कि काम व घर दिलाने का लालच देकर शाहनवाज राणा ने उनके साथ गलत काम करने को कहा। लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। वहां से वह किसी तरह चले गए थे। उसके बाद उन्हें दिल्ली से मुजफ्फरनगर बुलाया गया। आरोप था कि रास्ते में पूर्व विधायक के साथियों ने उनके साथ ज्यादती का प्रयास किया। आरोप था कि जब वे मुजफ्फरनगर पहुंची तो मीनाक्षी चौक के आसपास भी शाहनवाज राणा ने उनके साथ ज्यादती करनी चाही थी। जिसके बाद थाना सिविल लाइन पुलिस ने पूर्व विधायक शाहनवाज राना ओर उनके दो साथियों इमरान और सरताज निवासी खालापार के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
पूर्व विधायक शाहनवाज राणा ने रेप के प्रयास के उक्त मामले में हाईकोर्ट इलाहाबाद में सीआरपीसी 482 के तहत प्रार्थना पत्र दिया था। जो अदम पैरवी के चलते खारिज हो गया था। जिसके बाद गत वर्ष स्थानीय कोर्ट से शाहनवाज राणा के गिरफ्तारी वारंट जारी हुए थे। पूर्व विधायक ने अपर जिला और सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 4 में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 12 अक्टूबर 2021 को कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था। जिसके बाद शाहनवाज राणा ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। जहां उसे उन्हें जमानत मिल गई थी।
पूर्व विधायक शाहनवाज राणा के विरुद्ध कोर्ट में विचाराधीन रेप के मामले में हाईकोर्ट इलाहाबाद ने निचली अदालत को प्रतिदिन सुनवाई का आदेश जारी किया था। एडीजे कोर्ट में जब पूर्व विधायक ने अग्रिम जमानत अर्जी लगाई थी तो अभियोजन ने हाईकोर्ट के उक्त आदेश का हवाला देते हुए जमानत का विरोध किया था।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता आफताब कैसर का कहना है कि पूरा मामला मनघड़ंत था। अभियोजन की और से दिये गए साक्ष्य काबिले यकीन ही नहीं थे। कोर्ट ने सारे हालात पर गौर किया। उन्होंने बताया कि पूर्व विधायक और उनके साथ इस मामले में निर्दोष थे। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया।मुजफ्फरनगर। मोतीराम गोपीचंद चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन सतीश गोयल एवं रीमा सिंघल के बीच देव सिंघल पुत्र रीमा सिंघल की टीसी कटाने को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए कानूनी तौर पर मौखिक लड़ाई लड़ी जा रही थी जो अब वर्चस्व की लड़ाई में तब्दील हो गई है। रीमा सिंघल ने मोतीराम गोपीचंद चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन सतीश गोयल एवं ट्रस्ट के एमजी पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य मोनिका गर्ग पर सामाजिक एवं मानसिक रूप से उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है ।
पीड़ित रीमा सिंघल के द्वारा जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हुए निष्पक्ष जांच करवाई जाने की मांग की है।
बुधवार को पीड़ित रीमा सिंघल ने मीडिया सेंटर में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि मोतीराम गोपीचंद चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन सतीश गोयल समाज सेवा की आड़ में अपने कारनामों को छिपाने में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि सतीश गोयल जो अपने आप को समाजसेवी कहते हैं एवं महिलाओं को महिला सशक्तिकरण के रूप में पूजने एवं उनकी सुरक्षा करने का दिखावा करते हैं, आज उन्हीं के द्वारा महिला सशक्तिकरण का उत्पीड़न किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पहले तो मोतीराम गोपीचंद चैरिटेबल ट्रस्ट के एमजी पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य मोनिका गर्ग द्वारा स्कूल की फीस जमा न करने का हवाला देते हुए स्कूल में पढ़ने वाले छात्र देव सिंघल की टीसी काटने से मना कर दिया था, जिसकी लड़ाई को कानूनी तौर पर लड़ते हुए रीमा सिंघल ने जीत लिया था, जिसमें ट्रस्ट के चेयरमैन सतीश गोयल को हार का मूंह देखना पडा था, जिसके बाद से यह स्कूली लड़ाई वर्चस्व की लड़ाई में तब्दील हो गई थी। वही एक महिला से हार का सामना करने के बाद रंजिशन पीड़ित रीमा सिंघल पर बेबुनियाद आरोप प्रत्यारोपों के पुलों को बांधते हुए 2 करोड़ रुपए की मानहानि का दावा कर पीड़ित के घर नोटिस भिजवा दिया गया, जिससे आहत होकर पीड़ित महिला रीमा सिंघल ने आत्म हत्या करने का प्रयास किया मगर परिवार के अन्य सदस्यों के द्वारा उसकी जान बचा ली गई।
आरोप है कि सतीश गोयल न्यायाधीश, अधिकारियों एवं शहरवासियों को गुमराह करके अपने आप को ईमानदार एवं समाजसेवी कहलाता है। आरोप है कि समाज सेवा की आड़ में अपनी मनमानी एवं पैसे बटोरने का धंधा चलाया हुआ है, जिसका शिकार एमजी वर्ल्ड विज़न के आठ मासूम बच्चों के ऊपर बेबुनियादी फीस जमा न करने का आरोप लगाते हुए क्रिमिनल कोर्ट में केस दर्ज कराया गया। आरोप है कि बिना किसी नोटिस एवं बिना सच जाने एमजी पब्लिक स्कूल के 8 सीनियर अध्यापकों को भी बे बुनियादी आरोप लगाते हुए स्कूल से बेदखल कर दिया गया। आरोप है कि एमजी पब्लिक स्कूल में फिजिकल एजुकेशन एवं योगा के विषय को पढ़ने वाले अध्यापकों के अलावा अन्य अध्यापकों पर स्कूल की प्रिंसिपल मोनिका गर्ग के कहने पर स्कूल में धोखाधड़ी करने का बे बुनियादी आरोप लगाया गया। आरोप है कि जिन लोगों ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया उन लोगों के हाथों में ही जांच की बागडोर थमा दी, जिसके बाद स्कूल में 25 सालों से अपनी सेवा दे रहे अध्यापकों पर गाज गिरी और बिना सच जानें ही उनको स्कूल से बेदखल कर दिया गया। आरोप है कि बिना किसी सबूत के ट्रस्ट के चेयरमैन सतीश गोयल द्वारा पीड़ित रीमा सिंघल का सामाजिक एवं मानसिक रूप से उत्पीड़न किया जा रहा है। आरोप है कि सबूत के अभाव में ट्रस्ट के चेयरमैन सतीश गोयल को एक महिला के सामने हार का मुँह देखना पड़ा जिसके बाद वह बौखला गया और मनगढ़ंत कहानियां बनाकर महिला को झूठे एवं बे बुनियादी केस में फंसाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। आरोप है कि मोतीराम गोपीचंद चेरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक सचिव सुरेंद्र सिंधी की पुण्यतिथि पर ही स्कूल का एनुअल फंक्शन डे आयोजित करने का फैसला किया है। रीमा का कहना है कि उस दिन संस्थापक सचिव को श्रधांजलि दी जानी चाहिए थी ।
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