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आजमगढ़- जिला स्वास्थ्य समिति आजमगढ़ द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) एवं मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह (दिनांक 10 अक्टूबर से 16 अक्टूबर 2022 तक) का आयोजन आज नेहरू हाल में किया गया। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 इंद्र नारायण तिवारी ने मानसिक रोगियों एवं चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि बहुत सी अवधारणाएं ऐसी हैं, जिसमें कुछ मानसिक मरीज चिकित्सक के पास जाता है, कुछ में स्वयं को सामान्य मानता है, जबकि उसे परामर्श एवं इलाज की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को पूरा इलाज एवं परामर्श की आवश्यकता होती है। मरीजों को पूरी सतर्कता बरतनी पड़ती है। डॉ0 तिवारी ने कहा कि कुछ मानसिक रोग ऐसे भी होते हैं, जिसे मरीज का परिवार नहीं मानता है तथा कुछ में समाज के लोग उसे मानसिक रोगी नहीं स्वीकार करते हैं, परंतु ऐसे मरीजों को काउंसिल एवं दवा की जरूरत होती है।
मुख्य चिकित्साधिकारी ने कहा कि मानसिक रोगियों के विभिन्न लक्षण पाए जाते हैं, जिसमें निराश या दुखी महसूस करना, अक्सर रोना, मिलने-जुलने में आनंद नहीं आना, थकान महसूस करना, आत्महत्या के विचार आना, नींद ठीक तरह से नहीं आना, मन नहीं लगना, प्रायः दर्द, थकान, सर दर्द महसूस करना आदि हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को तत्काल पारिवारिक चिकित्सक, जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ से संपर्क करें, यदि संकटकालीन हो तो एंबुलेंस बुलायें या निकट के चिकित्सालय को ले जाना चाहिए।
उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 संजय ने कहा कि एक खुशहाल जिंदगी जीने के लिए व्यसन, शराब एवं ड्रग्स के सेवन से दूर रहें। उन्होंने कहा कि इसके सेवन के कारण जीवन में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। डॉ संजय ने कहा कि मानसिक रोग वाले व्यक्ति उपचार और परिवार व दोस्तों के प्यार और सहारे के बदौलत सुकून भरा उपयोगी जीवन जी सकते हैं।
इस अवसर पर डॉ नितिन यादव मनोवैज्ञानिक चिकित्सक उपस्थित रहे।