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कई राज्यों के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक, फिर संगठन मजबूत करने में जुटी बसपा
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विशाल सिंह रघुवंशी/लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब बसपा मुखिया मायावती फिर दबदबा बनाने की कोशिशों में लग गई हैं. अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई है. पार्टी की तीसरे चरण की बैठक के बाद आज चौथे चरण की भी बैठक पूरी हो गई है. इसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के स्टेट पार्टी पदाधिकारी शामिल रहे. इस मीटिंग में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बाकी राज्यों के हालात, पार्टी संगठन की मजबूती और जनाधार बढ़ाने पर चर्चा हुई.
दल-बदल को बढ़ावा दे रहा जनता दल: बसपा
बैठक में बात उठी कि बिहार के लोगों की गरीबी और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए वहां की सरकार अपेक्षाकृत सफल नहीं रही. बसपा का कहना है कि वहां के लोगों के लिए भाजपा की खास जिम्मेदारी बनती है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था भी काफी बुरे हाल में है. यह बड़ी चिंता की बात है. बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल, दल बदल को बढ़ावा दे रही है और कांग्रेस की तरह वहां विपक्ष को ही कमजोर करने में ज्यादा व्यस्त रही है.
राष्ट्रपति बनने के बाद भी आदिवासियों का विकास नहीं: बसपा
बसपा की बैठक में बात हुई कि वेस्ट बंगाल और झारखंड में राज्य सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के जो आरोप लग रहे हैं, वह विद्वेष पूर्ण लगाए जा रहे हैं. महामहिम द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद आदिवासी गांव में बिजली पहुंचना सरकार के दावों की पोल खोलता है. क्या केवल आदिवासी समाज की महिला को राष्ट्रपति बनाने से देश में करोड़ों दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक को गरीबी, पिछड़ेपन, जातिवादी शोषण और अत्याचार से मुक्ति मिल जाएगी? बसपा का कहना है कि ऐसा ही रवैया पहले कांग्रेस का भी रहा है.
भाजपा फैला रही सांप्रदायिक एजेंडा: बसपा
इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी का कहना है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के बार-बार हस्तक्षेप के बावजूद यूपी सरकार नफरत, जातिवादी और सांप्रदायिक एजेंडे पर काम करने में पूरे देश में एक मिसाल है. साथ ही, देश में बढ़ती महंगाई गरीबी, बेरोजगारी और निरंकुशता से लोग बेहाल हैं.