उत्तर प्रदेश

मेरठ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने 2 युवकों का चेंज किया जेंडर, जानिए पूरा मामला

Admin Delhi 1
11 Jun 2022 1:10 PM GMT
मेरठ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने 2 युवकों का चेंज किया जेंडर, जानिए पूरा मामला
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लखनऊ न्यूज़: मेरठ मेडिकल कॉलेज में करीब 4 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद 2 युवकों का जेंडर चेंज कर दिया। अब (दोनों काल्पनिक नाम) सलमान को सलमा और अशोक को तुसली के नाम से जाना जाएगा। सलमान और अशोक पहले लड़के थे, लेकिन उनकी हरकतों लडकियों वाली थी। जिसके बाद डॉक्टरों ने उनको अब लड़कों से लड़की बना दिया है। दोनों लड़कों की सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी कराई गई है। जिसे आम भाषा में सेक्स चेंज ऑपरेशन भी कहते हैं। दोनों का ऑपरेशन 10 जून 2022 को ही हुआ है।

पश्चिम यूपी मेडिकल कॉलेज में पहला मामला: मेरठ एलएलआरएस मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर सुधीर राठी ने इस ऑपरेशन को पूरा कर इन लड़कों को लड़की बनाया। उनका दावा है कि पश्चिम यूपी मेडिकल कॉलेज में पहली बार नई तकनीक से पुरुष को महिला बनाने की सर्जरी की गई है। सर्जरी कराने वाले एक की उम्र 18 वर्ष और दूसरे की 24 वर्ष है। एक मुजफ्फरनगर और दूसरी बिजनौर जिले की निवासी है।

नहीं बन सकती मां: सुधीर राठी ने बताया कि लड़कियों में एक्सएक्स क्रोमोसोम होते हैं और लड़कों में एक्सवाई क्रोमोसोम होते हैं। इन दोनों लड़कों में एक्सएक्स क्रोमोजोम थे। जिस वजह से इनमें लड़कियों जैसे लक्षण थे। इनकी हार्माेनल दवाइयां और मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कराई गई। अब ऑपरेशन के बाद इनको लड़की बना दिया गया है। यह शादी तो कर सकती है पर संतान उत्पत्ति नहीं हो सकती।

मनमर्जी जीवन जीने की इच्छा हो रही पूरी: जिला अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर कमलेंद्र किशोर का कहना है कि इस तरह के ऑपरेशन की स्वीकार्यता अब समाज में बढ़ती जा रही है। व्यक्ति जिस तरीके से रहना चाहता है। उसको उसी तरीके से लोग स्वीकार कर रहे हैं। कुछ लोगों के साथ समस्याएं होती हैं और कुछ अपनी इच्छा से परिवर्तन कराते हैं।

ऑपरेशन से पहले होती है जेंडर डिस्फोरिया की पुष्टि: इस मामले में कई विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सेक्स चेंज ऑपरेशन कराना हो तो इससे पहले यह पुष्टि करना आवश्यक हो जाता है कि क्या शख्स को जेंडर डिस्फोरिया है या नहीं। इसकी पुष्टि के लिए साइकैटरिस्ट और साइक्लोजेस्ट की मदद लेनी पड़ती है। लंबे उपचार और बातचीत के बाद इस नतीजे पर पहुंचा जाता है कि जेंडर डिस्फोरिया है या नहीं। यदि जेंडर संबंधित कोई परेशानी है, तो उस पेशेंट को जिस भी हार्माेन की जरूरत है। उस हार्माेन को टेबलेट या इंजेक्शन से दिया जाता है।

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