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मेरठ: मेरठ समेत पश्चिमी यूपी के 34 जिलों में बुनकरों द्वारा तैयार किए जाने वाले हैंडलूम उत्पादों की चमक विदेशों तक बिखरी हुई है. लावड़ में तैयार होने वाले कंबल, दरी और मेट की खूब डिमांड रहती है तो पिलखुवा की प्रिटिंग-रंगाई वाले उत्पादों की विदेशों तक धमक है. बागपत के खेकड़ा, सिंघावली और मुरादाबाद के होम फर्निशिंग उत्पाद तो खूब पसंद किए जाते हैं.
ड्रेस मैटीरियल में ललितपुर-झांसी की अलग जगह है. यहां तैयार होने वाली सिल्क-कॉटन की साड़ियों की देशभर में डिमांड है. इन साड़ियों को विदेशों तक भेजा जाता है. शामली के कैराना और गंगेरू की दरी, चादर तथा बिजनौर के कालीन का हैंडलूम उत्पादों में राज है.
राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के तहत हथकरघा बुनकरों के लिए केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का बुनकरों को लाभ दिलाने के साथ बुनकर कलस्टरों में विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है.
तपन शर्मा, उपनिदेशक, बुनकर सेवा केंद्र
बुनकर सेवा केंद्र मेरठ में रंगाई, बुनाई और छपाई की बुनकरों को न सिर्फ ट्रेनिंग दी जाती है, बल्कि रंगाई, बुनाई और छपाई के नए-नए डिजाइन और तकनीकों से बुनकरों को जानकारी देते हुए ट्रेंड किया जाता है.
तिलक राज, सहायक निदेशक प्रोसेसिंग
अब मिनटों में होता है काम
देसी करघों की जगह अब पावरलूम ने ले ली है. चरखों पर भी आधुनिकरण का रंग चढ़ गया. रंगाई-बुनाई और छपाई का घंटों में होने वाला काम अब मशीनों से मिनटों में हो रहा है. कंप्यूटर के जरिए डिजाइन तैयार होता है और एक कमांड देकर कपड़ों की छपाई शुरू हो जाती है.
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर दिल्ली में कार्यक्रम होगा. इसमें मेरठ बुनकर सेवा केंद्र उपनिदेशक तपन शर्मा को जयपुर में तैनाती के दौरान किए उल्लेखनीय कार्यों के लिए अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. मेरठ में मंगलपांडेनगर स्थित बुनकर सेवा केंद्र में समारोह होगा.