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मेडिकल वेस्ट शहर की फिजाओं में घोल रहा जहर, रोज निकलने वाला सैकड़ों किलो

सरकारी और निजी अस्पतालों से रोजाना निकलने वाला मेडिकल वेस्ट शहर की फिजाओं में जहर घोल रहा है और आप बेफिक्र होकर घूम रहे हैं। खबरदार हो जाइए और थोड़ी एहतियात बरतिए, वर्ना कब कौन सी बीमारी आपको जकड़ ले पता भी नहीं चलेगा। जी हां जिम्मेदारों को इसकी फिक्र नहीं है। पड़ताल में पाया गया कि शहर ही नहीं जिले भर में अस्पताली कचरे के निस्तारण के उचित इंतजाम नहीं हैं। नतीजा जहां सरकारी और निजी अस्पताल हैं वहां के इलाकों में बायो मेडिकल वेस्ट बड़ा खतरा बना हुआ है।
अयोध्या में अरबों की परियोजनाओं की सौगात देने वाले शासन ने भी इस बड़े संकट को लेकर आंखे मूंद रखी है। ऐसे में आपकी और आपके परिवार का स्वस्थ जीवन आपके ही हाथों में है। लोगों को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए आए दिन अभियान चलाए जाते हैं पर जनपद के सरकारी व निजी अस्पतालों से निकलने वाले ठोस अपशिष्ट को लेकर जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है। अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के कारण लोगों को ही नहीं बल्कि जानवरों में भी विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अब देखना यह है कि जिम्मेदार इस अव्यस्था को दूर करने के लिए क्या उचित कदम उठाते हैं।
जिले में पांच प्रमुख सरकारी चिकित्सालयों के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां से प्रतिदिन काफी संख्या में मेडिकल वेस्ट निकलता है। शहर के प्रमुख अस्पताल जिला चिकित्सालय से निकलने वाले अपशिष्ट का उचित निस्तारण न होने के कारण यह सड़कों पर बिखरा रहता है। जिला अस्पताल के सीएमएस का कहना है कि जिला चिकित्सालय से प्रति दिन 15-20 किलो अपशिष्ट निकलता है, जिसके निवारण की जिम्मेदारी रॉयल पॉल्यूशन नामक संस्था को दी गई है। वही इसका उचित प्रबंधन करती है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में इन्सुलेटर मशीन व्यवस्था नहीं है अब इसका प्रावधान भी खत्म कर दिया गया है।
यदि जिला अस्पताल से निकलने वाले 15-20 किलो अपशिष्ट का आंकड़ों को आधार माना जाए तो जिले चार प्रमुख सरकारी अस्पतालों से कुल 100 किलो बायो मेडिकल वेस्ट प्रतिदिन निकलता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से भी बायो मेडिकल वेस्ट प्रतिदिन निकलता है।
कितना खतरनाक है बायो मेडिकल वेस्ट?
अस्पतालों से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट इंसान के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। चिकित्सालयों में उपयोग के बाद फेंकने गई सुई और दूसरे उपकरणों के पुन: इस्तेमाल से संक्रामक बीमारियों का खतरा बना रहता है, सामान्य तापमान में इसे जलाकर खत्म भी नहीं किया जा सकता है। अगर कचरे को 1,150 डिग्री सेल्सियस के निर्धारित तापमान पर भस्म नहीं किया जाता है तो यह लगातार प्रदूषण पैदा करता है, जिनसे कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
बोले जिम्मेदार
मेडिकल वेस्ट कचरे को निर्धारित दिन हटाया जाता है। आपके माध्यम से कचरा फैला होने के बारे में जानकारी मिली है। लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई कराई जाएगी।
न्यूज़ क्रेडिट: अमृतविचार