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कानपुर: मंगलवार को 13 दिन बाद MBBS थर्ड ईयर की छात्रा ने स्वाइन फ्लू से दम तोड़ दिया। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की छात्रा तबियत खबरा होने के 24 घंटे बाद ही वेंटीलेटर तक पहुंच गई थी। मंगलवार शाम को उसने दम तोड़ दिया। छात्रा की मौत से मेडिकल कॉलेज में भी मातम छा गया है। स्वाइन फ्लू के चलते सेप्टीसिमिया हुआ और मल्टी ऑर्गन फ्लोयर होने से छात्रा की मौत हो गई।
मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डा. संजय काला ने बताया कि बाराबंकी की रहने वाली पाखी श्रीवास्तव बीते 13 दिनों से जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही थी। उसमें इंफ्लूएंजा ए H1N1 वायरस यानी कि स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। MBBS एन-टू बैच थर्ड ईयर की छात्रा कोमा में थी। बीच में उसकी हालत स्टेबल हो गई थी। वेंटीलेटर भी हटा दिया गया था। छात्रा की मौत से पिता आशीष श्रीवास्तव, मां डॉ. मंजू श्रीवास्तव का रो-रोकर बुरा हाल है। बेटी की मौत से दुखी पिता ने कहा उसने सिर्फ डॉक्टर बनने का ही सपना देखा था, आज मेडिकल कॉलेज में ही उसकी मौत हो गई। उसने डॉक्टर बनने के लिए कड़ा संघर्ष किया था। मेडिकल छात्रा की मौत के बाद साथी छात्रों का रो-रोकर बुरा हाल रहा। उन्होंने छात्रा के पार्थिव शरीर को रो-रोकर विदाई दी। वहीं मेडिकल कॉलेज स्टाफ ने छात्रों को ढांढस बंधाया। परिजन बॉडी को बाराबंकी अपने पैतृक आवास लेकर चले गए हैं। मेडिकल कॉलेज में गंदगी के साथ ही सुअरों को आतंक है। मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू फैलने से पहले 6 सुअरों की मौत हो गई थी। जिसे आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज में ही बिना जांच दफना दिया गया। इसके बाद 5 अन्य छात्रों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। वहीं स्वाइन फ्लू फैलने के बाद कॉलेज में साफ-सफाई को लेकर अभियान चलाया गया। जांच के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी केंद्रीय जांच टीम भेजी थी। जांच टीम ने भी सुअरों की मौत की जांच बिना किए ही दफनाने पर आपत्ति जताई थी। वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी जांच टीम भेजी थी। इसमें अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन को गंदगी को लेकर कड़ी फटकार भी लगाई थी।