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एमडी साइकियाट्रिक्स और एमडी माइक्रोबायलॉजी की सीटें हुई स्वीकृत
मेरठ: मेडिकल के एनाटॉमी विभाग, स्किन एंड वीडी, माइक्रोबायलॉजी, साइकियाट्री विभाग में सीटों की बढ़ोत्तरी के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान आयोग में आवेदन किया गया था। जिसके बाद आयोग की टीम ने कॉलेज का दौरा कर सभी जरूरी इंतजाम व सुविधाओं को जाना था। अब आयोग ने विभिन्न विभागों में कुल दस सीटे बढ़ा दी है।
कॉलेज के मीडिया प्रभारी डा. वीडी पाण्डेय ने बताया एलएलआरएम मेडिकल कालेज के एनाटॉमी, स्किन एंड वीडी, माइक्रोबायोलॉजी, साइकियाट्री विभाग का 1 फरवरी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान आयोग ने सीटों में बढ़ाने के लिए निरीक्षण किया था।
एमडी एनाटॉमी में पहले से 2 सीटें व एमडी स्किन एंड वीडी की 1 सीट स्वीकृत थी, जबकि एमडी साइकियाट्रिस्ट व एमडी माइक्रोबायोलॉजी पाठ्यक्र शुरू होना है। प्रधानाचार्य डा. आरसी गुप्ता ने विभिन्न विभागों की सीटों में बढ़ोतरी के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान आयोग को आमंत्रित किया था। जिसमें विभाग का निरीक्षण कर सीटों में बढ़ोत्तरी की जा सके। निरीक्षण के बाद आयोग द्वारा विभाग में सभी उपकरण व सुविधाएं उपलब्ध पायी गयीं जिसकी रिपोर्ट निरीक्षकों ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान आयोग को सौंपी थी।
मंगलवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान आयोग द्वारा एनाटोमी विभाग में 2 स्वीकृत सीटों को बढ़ाकर 3 कर दिया गया, जबकि एमडी स्किन एंड वीडी में 1 सीट को बढ़ाकर कुल चार कर दिया है। साथ ही एमडी साइकियाट्रिस्ट की 3 व एमडी माइक्रोबायोलॉजी की 3 सीटें पहली बार स्वीकृत की गयी हैं, कुल मिलाकर 10 सीटों की बढ़ोतरी हुयी है।
दस नई सीटे बढ़ने से संकाय सदस्यों व छात्र-छात्राओं में खुशी है। प्रधानाचार्य डा. आरसी गुप्ता ने विभागाध्यक्ष एनाटॉमी विभाग डा. प्रीती सिन्हा, विभागाध्यक्ष स्किन एंड वीडी विभाग डा. प्रज्ञा कुशवाहा, विभागाध्यक्ष माईक्रोबायोलॉजी विभाग डा. अमित गर्ग व विभागाध्यक्ष साइकियाट्री विभाग डा. तरुण पाल को बधाई दी है। साथ ही मुख्य प्रसाशनिक अधिकारी ओम पाल सिंह, सैयद अहमद अली, राजकुमार शर्मा का निरीक्षण में सहयोग करने पर आभार व्यक्त किया है।
टूटे सपने: 142 कर्मियों की नियुक्ति पत्रों पर रोक
सरकारी अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ के रूप में काम करने वाली 9 हजार 212 एएनएम मंगलवार को स्थाई होनी थी। लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन्हें नियुक्ति पत्र दिए जाने थे। इसमें मेरठ की भी 142 नर्सिंग स्टाफों का सूची में नाम था,
लेकिन सोमवार देर रात शासन से जारी पत्र में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम पर रोक लगा दी गई, जबकि कई एएनएम जिन्हें परमानेंट होने का नियुक्ति पत्र मिलना था, वह पहले से ही त्यागपत्र दे चुकी है। अब एएनएम स्थाई होंगी या नहीं? इस पर ही सवाल उठने लगे हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण होता है एएनएम का पद
एएनएम (आग्जिलरी नर्सिंग मिडवाइफरी) वह सभी कार्य करती है जो एक नर्स को करने होते हैं। इसके साथ ही सरकार द्वारा चलाए जाने वाले टीकाकरण कार्यक्रमों में भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन इनकी तनख्वाह सरकारी नर्स के मुकाबले काफी कम होती है। इन्हें संविदा पर रखा जाता है और महज 10 से 15 हजार रुपये तनख्वाह के रूप में मिलते हैं।
ऐसे में पिछले कई सालों से एएनएम खुद को स्थाई करने की मांग उठाती आ रही है। कुछ समय पहले पूरे प्रदेश की 9 हजार 212 एएनएम ने परीक्षा पास कर स्थाई होने के लिए आवेदन किया था। इनमें से जिले की भी बड़ी संख्या में एएनएम शामिल रहीं जिनमें से 142 एएनएम को स्थाई होने की सूची में शामिल किया गया था। मंगलवार को इन सभी को स्थाई नियुक्तिपत्र मिलने थे।
लखनऊ में सीएम द्वारा जबकि जिला स्तर पर सीएमओ द्वारा नियुक्ति पत्र वितरित होने थे, लेकिन अचानक सोमवार देर रात शासन से नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम स्थगित करने का आदेश आया। जिसके बाद इनके स्थाई होने का मामला फिर टल गया है। इससे महज 10 से 15 हजार रुपये में अपना परिवार चला रही एएनएम में उदासी छा गई।
कोरोना काल में फ्रंटलाइन वर्कर का दिया था नाम
2020 में जब कोरोना ने दस्तक दी थी तो इन एएनएम स्वास्थ्य कर्मियों ने संक्रमितों का इलाज किया था। जिस समय सभी कोरोना संक्रमितों से दूरी बना रहे थे तो इन्होंने आगे आकर मरीजों का हौसला बढ़या था। 2021 में कोरोना की दूसरी लहर ने जब सबसे ज्यादा कहर बरपाया था
तो यही एएनएम घर-घर जाकर कोरोना संक्रमितों को ढूंढकर उन्हें अस्पतालों तक लेकर पहुंची थी। साथ ही घरों पर ही मरीजों को दवाइयां देने का भी काम इन्हीं के द्वारा किया गया था। उस समय सरकार ने इन्हें फं्रट लाइन वर्कर घोषित करते हुए इनके काम की काफी सराहना की थी।
स्थाई करने की उठी थी मांग
स्वास्थ्य कर्मियों (एएनएम) द्वारा काफी समय से खुद को स्थाई करने की मांग उठ रही है। इनका कहना है जब यह सरकारी अस्पतालों से लेकर योजनाओं में परमानेंट नर्सिंग स्टाफ की तरह काम करती है तो इनके साथ भेदभाव क्यों होता है। वहीं सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न टीकाकरण की योजनाओं में भी यह घर-घर जाकर टीकाकरण करती है। जबकि स्थाई नर्स इस काम को नहीं करती है,
ऐसे में इन्हें इतना कम वेतन क्यों मिलता है इसको लेकर कई बार आवाज उठाई जा चुकी है। इसके चलते शासन स्तर पर इन्हे परीक्षा पास करने के बाद स्थाई करने का आश्वासन मिला था। जिसके बाद जिले की 142 एएनएम को मंगलवार नियुक्तिपत्र मिलने थे, लेकिन अब यह फिर खटाई में पड़ गया है।
कई एएनएम ने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया क्योंकि मंगलवार को इन्हें नियुक्तिपत्र मिलने थे जिसके बाद वह अस्थाई पद से इस्तीफा दे चुकी है, लेकिन नियुक्तिपत्र मिलने का कार्यक्रम स्थगित होने की वजह से वह अब अधर में फंस गई है। ऐसे में इनके सामने अपना परिवार कैसे चलाए यह समस्या पैदा हो गई है।
मंगलवार को एएनएम को मिलने वाले नियुक्तिपत्रों पर शासन से ही रोक लगी है। अगली तिथि आने तक जिले की एएनएम को इंतजार करना होगा। -डा. अखिलेश मोहन, मुख्य चिकित्साधिकारी मेरठ।