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उत्तर प्रदेश
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान गोरखपुर में एमडी व एमएस की पढ़ाई फरवरी 2023 से हो जाएगी शुरु
Ritisha Jaiswal
31 Aug 2022 8:48 AM GMT

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में एमडी व एमएस की पढ़ाई फरवरी 2023 से शुरु हो जाएगी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में एमडी व एमएस की पढ़ाई फरवरी 2023 से शुरु हो जाएगी। इसकी औपचारिकता पूरी कर ली गई है। पीएचडी की कक्षाएं भी चलने लगेंगी। शोध सुपरवाइजरों के हिसाब जल्द ही सीटें आवंटित होंगी।
एम्स, गोरखपुर में एमबीबीएस व नर्सिंग की पढ़ाई कराई जा रही है। जल्द ही एमडी व एमएस की 50 सीटें भी भरी जाएंगी। निदेशक डॉ सुरेखा किशोर ने बताया कि 76 डॉक्टर तैनात हैं। इस हिसाब से पीएचडी की करीब 50 सीटें मिलेंगी। पीजी व पीएचडी की सीटें एम्स दिल्ली की प्रवेश परीक्षा व काउंसिलिंग से भरी जानी हैं। कक्षाएं चलने के साथ ही शोध की गतिविधियां भी बढ़ाई जाएंगी।
पूरी क्षमता से चलेगा आयुष विंग
एम्स का आयुष विंग सितंबर से पूरी क्षमता के साथ चलने लगेगा। अभी होम्योपैथिक व आयुर्वेद की ओपीडी चल रही है। दोनों में रोजाना 40-40 मरीज आ रहे हैं। जल्द ही यूनानी की ओपीडी चलेगी। निदेशक के मुताबिक, पंचकर्म से इलाज की व्यवस्था की जा रही है। होम्योपैथिक, आयुर्वेद, यूनानी व पंचकर्म से जुड़ी हर गतिविधि से इलाज की व्यवस्था बनाई जाएगी।
रोजाना हो रहे मेजर-माइनर ऑपरेशन
ओपीडी व आईपीडी में रोजाना 2500 मरीज आ रहे हैं। ऑपरेशन थियेटर (ओटी) भी पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। अलग-अलग विभागों की 15 ओटी हैं। रोजाना 15 मेजर ऑपरेशन किए जा रहे हैं। माइनर ऑपरेशन ज्यादा हो रहे हैं। ऑपरेशन की क्षमता बढ़ाने का काम लगातार चल रहा है।
अक्तूबर व नवंबर में कार्यशाला, अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस
डॉ. सुरेखा किशोर ने बताया कि अक्तूबर में संक्रामक रोगों पर कार्यशाला होगी। नवंबर में कार्डियो डायबिटिक से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस कराई जाएगी। इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टर आएंगे। इसका लाभ गोरखपुरवासियों को मिलेगा।
आर्सेनिक-लेड पर शोध
निदेशक ने बताया कि एम्स के डॉक्टर व छात्र-छात्राएं भूगर्भ जल में आर्सेनिक व लेड की मात्रा पर शोध करेंगे। इसके लिए लखनऊ की टॉक्सीकोलॉजी लैब से अनुबंध किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति के बाद शोध शुरू किया जा रहा है। जिस इलाके से आर्सेनिक व लेड के लिए पानी का नमूना लिया जाएगा, उसी क्षेत्र से किसी व्यक्ति के खून का सैंपल भी लिया जाएगा। इससे पता चलेगा कि कहीं मनुष्य के शरीर तक तो आर्सेनिक या लेड नहीं पहुंच रहा है।
रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति के साथ ही शुरु होंगी जांचें
रेडियोलॉजिस्ट न होने की वजह से एम्स में अल्ट्रासाउंड सहित तमाम महत्वपूर्ण जांचें नहीं हो पा रही हैं। निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर का कहना है कि पहले से तैनात रेडियोलॉजिस्ट दूसरी जगह चले गए हैं। नए रेडियोलॉजिस्ट की तलाश चल रही है। जैसे ही नियुक्ति होगी, मशीनें चलने लगेंगी। कोई मशीन बेकार नहीं है। इन मशीनों को रेडियोलॉजिस्ट की देखरेख में ही चलाया जा सकता है।
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