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लखनऊ, (आईएएनएस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने पीएफआई को बैन करने पर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पीएफआई समेत आठ संगठनों को प्रतिबंधित किया है, उससे राजनीतिक स्वार्थ व संघ तुष्टीकरण की नीति मानकर लोगों में बेचैनी है।
मायावती ने शुक्रवार को ट्विटर के माध्यम से लिखा कि केन्द्र द्वारा पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर देश भर में कई प्रकार से टारगेट करके अन्तत: अब विधानसभा चुनावों से पहले उसे उसके आठ सहयोगी संगठनों के साथ प्रतिबन्ध लगा दिया है, उसे राजनीतिक स्वार्थ व संघ तुष्टीकरण की नीति मानकर यहाँ लोगों में संतोष कम व बेचैनी ज्यादा है।
उन्होंने आगे लिखा कि यही कारण है कि विपक्षी पार्टियाँ सरकार की नीयत में खोट मानकर इस मुद्दे पर भी आक्रोशित व हमलावर हैं और आरएसएस पर भी बैन लगाने की मांग खुलेआम हो रही है कि अगर पीएफआई देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है, तो उस जैसी अन्य संगठनों पर भी बैन क्यों नहीं लगना चाहिए?
इससे पहले उन्होंने गुरुवार को सपा पर हमला किया और कहा कि समाजवादी पार्टी द्वारा अपने चाल, चरित्र, चेहरा को अंबेडकरवादी दिखाने का प्रयास वैसा ही ढोंग, नाटक व छलावा है जैसा कि वोटों के स्वार्थ की खातिर अन्य पार्टियां अक्सर ऐसा करती रहती हैं। इनका दलित व पिछड़ा वर्ग प्रेम मुंह में राम बगल में छूरी को ही चरितार्थ करता है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में परमपूज्य डा. भीमराव अंबेडकर के संवैधानिक व मानवतावादी आदर्शो को पूरा कर के देश के करोड़ों गरीबों, दलितों, पिछड़ों, उपेक्षितों आदि का हित, कल्याण व उत्थान करने वाली कोई भी पार्टी व सरकार नहीं है। सपा का तो पूरा इतिहास ही डा. अंबेडकर व बहुजन विरोधी रहा है। उन्होंने कहा कि सपा शासनकाल में बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के अनुयाइयों की घोर उपेक्षा हुई व उनपर अन्याय-अत्याचार होते रहे। महापुरुषों की स्मृति में बसपा सरकार द्वारा स्थापित नए जिले, विश्वविद्यालय, भव्य पार्क आदि के नाम भी जातिवादी द्वेष के कारण बदल दिए गए। क्या यही सपा का डा. अंबेडकर प्रेम है।
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