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वीआईपी पूर्वांचल की वाराणसी सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सर्वाधिक उम्मीदवार उतर रहे
मथुरा: यूपी की सियासत का सिक्का पूरे देश में चलता है, लिहाजा भारतीय राजनीति के तमाम बड़े नाम इसे अपनी कर्मभूमि बनाते रहे हैं.
इन वीआईपी सीटों पर दिग्गजों से ताल ठोकने के लिए दावेदारों की होड़ लगती है, वहीं गुमनाम सीटों से लड़ने वालों की गिनती जल्दी दहाई भी नहीं छू रही है. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश की सबसे वीआईपी पूर्वांचल की वाराणसी सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सर्वाधिक उम्मीदवार उतर रहे हैं. यहां 20 में सर्वाधिक 42 तो साल 2019 में दूसरे सर्वाधिक 26 प्रत्याशी चुनौती देने उतरे थे. यही नहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की परंपरागत अमेठी सीट पर साल 2019 में सर्वाधिक 27 तो 20 में 34 ने चुनौती दी. इसी तरह सोनिया गांधी की रायबरेली, राजनाथ सिंह की लखनऊ पर भी सर्वाधिक प्रत्याशी लड़े हैं. वहीं बेहद कम चर्चित बांसगांव सीट पर साल 2019 में चार उम्मीदवार खड़े हुए तो 20 में हाथरस में नौ ने ही सांसदी में रुझान दिखाया.
काशी-अमेठी पर जोर:
● प्रधानमंत्री मोदी की वाराणसी वीआईपी सीट पर बीते चुनाव में सर्वाधिक 27 प्रत्याशी लड़े, 2 ने भरा था पर्चा.
● राहुल गांधी की सीट अमेठी से 26 तो वीके सिंह की गाजियाबाद सीट पर 25 प्रत्याशियों ने लगाया था दांव
● 20 में भी वाराणसी से सर्वाधिक 42, अमेठी से 34, लखनऊ से 29, 28 प्रत्याशी
फतेहपुरसीकरी से उतरे थे
● पूर्वांचल में कम मशहूर बांसगांव से सबसे कम चार प्रत्याशी लड़े, दो की जमानत जब्त, 11 ने भरा था पर्चा.
सुर्खियां इन्होंने बटोरी
1. कम चर्चित फतेहपुर सीकरी सीट पर 2019 में भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर ने 4,95,065 मतों से एकतरफा जीत हासिल की. उन्होंने कुल पड़े वोटों के 65 फीसदी मत अकेले बटोरे. निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के राजबब्बर मात्र 16.76 प्रतिशत वोट पाकर जमानत गंवा बैठे. यहां से 15 प्रत्याशी उतरे थे, जिनमें हारे सभी उम्मीदवारों की जमानत नहीं बची.
2. भाजपा की परंपरागत सीट रही मछलीशहर पर बीते चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बीपी सरोज को जीत के लाले पड़ गए. वह बसपा उम्मीदवार त्रिभुवन राम से मात्र 181 वोटों से हारते-हारते बचे.