उत्तर प्रदेश

Mathura: कर्मचारियों की मिलीभगत से बनीं फर्जी डिग्रियां-लाइसेंस

Admindelhi1
3 Jun 2024 5:04 AM GMT
Mathura: कर्मचारियों की मिलीभगत से बनीं फर्जी डिग्रियां-लाइसेंस
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मेडिकल स्टोर खोलने के लिये लाइसेंस बन जाता था.

मथुरा: फर्जी डिग्रियां बनाकर वसूली करने वाले गिरोह ने बरेली के हरिशंकर के माध्यम से फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के कर्मचारियों से साठगांठ कर ली थी. इन कर्मचारियों ने हर कदम पर इस गिरोह की मदद की और फर्जी डिग्रियां बनवाने में मदद की. ये गिरोह जब भी इन डिग्रियों का सत्यापन के लिये पत्र आता था तो उसे सत्यापित कर असली डिग्री बता देते थे. इसके बाद ही मेडिकल स्टोर खोलने के लिये लाइसेंस बन जाता था.

एसटीएफ ने अभी चार कर्मचारियों के नाम पता कर लिये हैं. डिप्टी एसपी अवनीश्वर श्रीवास्तव ने बताया कि गिरफ्तार जालसाज शिवानंद ने इन कर्मचारियों का पूरा नेटवर्क बताया है. जांच में दोषी मिलने वाले सभी कर्मचारियों का नाम एफआईआर में लाया जायेगा.

फर्जी डिग्री से खुलवाये मेडिकल स्टोर व क्लीनिक: डिप्टी एसपी अवनीश्वर श्रीवास्तव ने बताया कि इस गिरोह ने कई प्रदेशों के लोगों को बी फार्मा व डी फार्मा की फर्जी डिग्रियां दी. इनके जरिये ही कई इलाकों में मेडिकल स्टोर खोले गये हैं. मेडिकल स्टोर के खुलने के कुछ दिन बाद उन्हीं इलाकों में क्लीनिक खुलवाने के लिये कई लोगों को होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा की फर्जी डिग्रियां दी. इसके लिए भी काफी रकम वसूली. अब इनका ब्योरा जुटाया गया है. इस आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जायेगी.

से चला रहा था गिरोह: एसटीएफ के मुताबिक शिवानंद वर्मा मुख्य भूमिका में था. वह गिरोह के मुख्य सदस्य बरेली निवासी हरिशंकर के सम्पर्क में रहता था. हरिशंकर ही फर्जी मार्कशीट तैयार कराता था. सचिन मणि व अन्य लोग शिवानंद व हरिशंकर के लिये शिकार ढूंढ़ कर लाते थे. बेरोजगार जैसे ही इनके जाल में फंसते थे, उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन देकर अपने जाल में फंसा लेते थे. ये गिरोह वर्ष से फर्जीवाड़ा कर रहा है.

हरिशंकर ही वसूली करता था. फर्जी लाइसेंस बन जाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गिरोह पांच लाख वसूलता था. इसमें चार लाख हरिशंकर लेता था और एक लाख शिकार को लाने वाला लेता था. शिवानंद व सचिन को बताता था कि और लोगों व फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करने वालों को भी कुछ रकम देनी पड़ती है, इसलिये वह ज्यादा रकम लेता है.

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