- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- कई स्कूल कोरोना काल की...
गाजियाबाद न्यूज़: जिले के कई निजी स्कूलों ने आदेश के बावजूद कोरोना काल की 15 फीसदी फीस वापस नहीं ही है. इससे अभिभावक परेशान हैं. दूसरी तरफ निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट से स्टे लाने की बात कहकर फीस वापसी से इंकार कर रहे हैं. इस मामले में जीपीए ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर डीएम से उचित कार्रवाई करने की मांग की है.
अभिभावकों का आरोप है कि डीआईओएस ने 25 अप्रैल को स्कूलों के साथ ऑनलाइन मीटिंग की और 28 अप्रैल तक फीस संबंधी सभी डाटा मांगा. इसके बाद जिले के मात्र दो-तीन स्कूलों ने ही फीस वापसी की प्रक्रिया शुरू की. अन्य स्कूल फीस वापसी का आदेश नहीं होने का हवाला देकर अभिभावकों को टरकाते रहे. इस बारे में डीआईओएस राजेश श्रीवास का कहना है कि 130 स्कूलों ने फीस समायोजित करनी शुरू कर दी है. जबकि जीपीए और अभिभावक इससे इंकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि दो- तीन स्कूलों ने ही फीस वासपी शुरू की थी, उन्होंने भी स्टे का हवाला देकर इसे वापस ले लिया. अब जीपीए ने ट्वीट कर सरकार से फीस वापसी की गुहार लगाई है. अभिभावकों का कहना है कि यदि जल्द ही फीस वापस नहीं की गई तो अभिभावक आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान में शिक्षा ले रहे छात्रों की फीस वापसी पर कोई स्टे नहीं दिया है, लेकिन निजी स्कूल आदेश को गलत तरीके से पेश कर फीस वापसी पर स्टे ले आए हैं. -सीमा त्यागी, जीपीए अध्यक्ष
फीस वापसी को लेकर स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. 130 स्कूलों ने फीस समायोजित करनी शरू कर दिया है. जो स्कूल फीस वापसी से इंकार कर रहे हैं उसकी सूचना दें.
- राजेश कुमार श्रीवास, जिला विद्यालय निरीक्षक
क्या है मामला हाईकोर्ट ने 6 जनवरी को प्रदेश के निजी कूलों को कोरोना काल ( 2020-21) के दौरान वसूली गई फीस का 15 फीसदी हिस्सा वापस करने का आदेश दिया था. जीपीए का कहना है कि स्कूलों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चार साल की बैलेंस शीट तलब किया. साथ ही उन छात्रों की फीस वापसी पर छह हफ्ते की रोक लगा दी, जो 2020-21 में ही स्कूल छोड़ चुके हैं, क्योंकि स्कूलों ने कोरोना काल में भी ज्यादा खर्च की बात कही थी. इसी फैसले का हवाला देकर स्कूल सभी छात्रों की फीस वापसी से इंकार कर रहे हैं.