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झोलाछाप के चक्कर में पड़कर कई मरीज सालों से दर्द व सूजन से पीड़ित
प्रतापगढ़: हार्निया की बीमारी में यह बात डॉक्टरों की तरफ से कई बार साफ कर दी गई कि ऑपरेशन के अलावा इसका कोई दूसरा इलाज नहीं. फिर भी झोलाछाप के चक्कर में पड़कर कई मरीज सालों से दर्द व सूजन झेलते हुए शरीर के दूसरे अंगों को भी जोखिम में डाल रहे हैं. राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय की ओपीडी में हार्निया के कई मरीज ऐसे भी आ रहे हैं जिन्हें कई साल से हार्निया है. डॉक्टर इन्हें जल्द ऑपरेशन कराना जरूरी बता रहे हैं.
मेडिकल कॉलेज के राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय की सर्जरी की ओपीडी में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. केके तिवारी मरीज देख रहे थे. दोपहर करीब 12 बजे अधेड़ उम्र का हार्निया एक मरीज अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट लेकर पहुंचा. डॉक्टर ने उससे पूछा सूजन कब शुरू हुई तो उसने 15 साल पहले कहकर डॉक्टर को भी चौंका दिया. डॉक्टर ने उससे पूछा कि ऑपरेशन क्यों नहीं कराया तो उसने बताया कि स्थानीय झोलाछाप से दवा लेकर खा लेता था तो आराम मिल जाता था. डॉक्टर ने उसकी रिपोर्ट में अपनी कलम से घेरा बनाते हुए उसे दिखाया कि अधिक समय तक हार्निया का ऑपरेशन न कराने से उसके आसपास के अंग भी किस तरह खराब हो गए हैं. डॉक्टर ने मरीज को समझाया कि हार्निया में आंत जैसे अंग की ऊपरी परत कमजोर हो जाता है. इससे वहां छेद हो जाता है और आंत उतरने लगती है. इसे ऑपरेशन से ही ठीक किया जा सकता है. अधिक दर्दनाशक दवाएं खाने से शरीर के दूसरे अंगों को क्षति पहुंचती है.
बचाव के उपाय:
1-अधिक भारी सामान न उठाना
2-पेशाब या शौच करते समय जोर न लगाना
3-लम्बे समय तक खड़ा रहने से बचना
4-खांसी का शुरुआत में ही इलाज करना
5-धूम्रपान तत्काल बंद कर देना
हार्निया के लक्षण
1-पेट और कमर के जोड़ पर सूजन
2-जोर से खांसने व भारी सामान उठाने पर दर्द होना
3-सूजन वाले स्थान पर हल्का दर्द बना रहना
4-हाथ से दबाने या लेटने पर सूजन कम हो जाना
5-समय के साथ दर्द बढ़ते जाना
वजह
1-लगातार होने वाली खांसी
2-प्रसव के दौरान ऑपरेशन की लापरवाही
3-प्रोस्टेट बड़ी होना
4-धूम्रपान
5-मांसपेशियों की कमजोरी
हार्निया का ऑपरेशन के अलावा कोई दूसरा इलाज नहीं है. फिर भी कई मरीज आपरेशन से बचने के लिए सालों से इधर उधर की दवाएं लेकर खा रहे हैं. इससे वे अपनी बीमारी बढ़ा रहे हैं. दर्द या सूजन की दवा खाकर हार्निया को अधिक समय तक टालने से शरीर के दूसरे अंगों पर घातक दुष्प्रभाव पड़ता है.
-डॉ. केके तिवारी, सर्जरी डिपार्टमेंट मेडिकल कॉलेज