उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में मलेरिया करीब 60 फीसदी हुआ कम

Ritisha Jaiswal
5 July 2022 10:51 AM GMT
उत्तर प्रदेश में मलेरिया करीब 60 फीसदी हुआ कम
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उत्तर प्रदेश में मलेरिया करीब 60 फीसदी कम हुआ है। अति संवेदनशील बरेली, बदायूं और सोनभद्र में अभी तक यह नियंत्रित है।

उत्तर प्रदेश में मलेरिया करीब 60 फीसदी कम हुआ है। अति संवेदनशील बरेली, बदायूं और सोनभद्र में अभी तक यह नियंत्रित है। यहां एक हजार की आबादी पर एक से भी कम केस मिल रहे हैं। इस स्थिति को बरकरार रखने के लिए कोविड की तर्ज पर दस्तक अभियान के बाद भी निरंतर अभियान चलाने की रणनीति बनाई गई है।

प्रदेश में वर्ष 2027 तक मलेरिया केस शून्य करने का लक्ष्य रखा गया है। जिन जिलों में लगातार तीन साल तक मलेरिया के केस नहीं मिलेंगे, उसे मलेरिया मुक्त घोषित किया जाएगा। इसी तरह जिन जिलों में एक हजार की आबादी में एक से कम केस मिलते हैं, उसे नियंत्रित जिले की श्रेणी में माना जाता है। मलेरिया के लिहाज से बरेली, बदायूं और सोनभद्र को अति संवेदनशील माना जाता है लेकिन अन्य जिलों के साथ ही इन तीनों जिलों में पिछले साल से एनुअल पैरासाइट इंसिडेंस (एपीआई) की दर एक से नीचे मिली है। मलेरिया प्रभावित जिलों के समूह 2 से समूह एक में आने के लिए उत्तर प्रदेश को सम्मानित किया जा चुका है।
विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल जनवरी से जून तक 13 लाख सैंपल की जांच की गई। इनमें 1,300 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इस साल जून तक 26.77 लाख सैंपल की जांच की गई। इनमें से 1,077 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इस तरह पॉजिटिविटी की दर करीब 60 फीसदी कम हुई है। अब कोविड की तर्ज पर जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है, लगभग एक करोड़ से अधिक लोगों की जांच करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत आशा और एएनएम को जांच के लिए प्रशिक्षित किया गया है। उन्हें जांच किट मुहैया कराई गई है। जिन लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है, उनकी तीसरे दिन, सातवें दिन और 14वें दिन जांच करके रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
उधर, बस्ती व अंबेडकरनगर में पिछले साल एक भी केस नहीं मिला था। अगर तीन साल तक यहां कोई केस नहीं मिलता तो यह दोनों जिले मलेरियामुक्त घोषित कर दिए जाते पर अंबेडकरनगर में इस साल एक केस मिल गया है। ऐसे में यह जिला फिर से सामान्य श्रेणी में आ गया है।
मलेरिया के संयुक्त निदेशक डॉ. एके यादव का कहना है कि प्रदेश को मलेरिया मुक्त बनाने के लिए ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की रणनीति अपनाई गई है। मलेरिया रोगी चिह्नित कर उपचार कराने वाली एएनएम को 75 रुपये मानदेय दिया जा रहा है। जिस क्षेत्र में मरीज मिल रहे हैं, वहां मलेरियारोधी अभियान चलाया जा रहा है।


Ritisha Jaiswal

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