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लखनऊ: पीएफ-ग्रेज्युटी के 80 लाख रुपये न मिलने से पूर्व स्टेनो राजेंद्र कुमार जोशी की आत्महत्या के मामले में पत्नी और भाई ने सिप्सा के अफसरों को जिम्मेदार ठहराया है. पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे राजेंद्र के भाई बृज मोहन जोशी ने बताया कि जब भाई तैनात थे तब आफिस के अफसरों ने उनसे पत्रावलियां क्यों नहीं मांगी? क्या कारण था कि उनके वीआरएस लेते ही उप-महाप्रबंधक डा. रिंकू श्रीवास्तव की नोटिस आने लगीं?
बृजमोहन जोशी ने बताया कि भाई ने मार्च में वीआरएस के लिए आवेदन किया. मई में उन्हें मिल गई. मार्च से मई तक आफिस के लोग फाइलें नहीं मांग पाए. आखिर क्या कारण है कि वीआरएस के बाद अचानक वह फाइलें मांगने लगे? भाई को परेशान करने के लिए उनके पीएफ और ग्रेज्युटी के 80 लाख रुपये अफसरों ने रोक लिए. भाई और उनका पूरा परिवार पाई-पाई को मोहताज हो गया. ब्रज मोहन ने बताया कि चूंकि वह दिल्ली में रहते हैं. छोटे भाई राजेश जोशी कनाडा में रहते हैं. इसलिए भाई के बातचीत में थोड़ा गैप हो जाता था, पर जब जानकारी हुई तो उन्हें रुपये भी इलाज के लिए भेजे थे. भाई थोड़े संकोची थे इसलिए वह हर बात नहीं बताते थे. राजेश ने इस संबंध में सिप्सा की अधिशासी निदेशक को मेल भी किया था. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. भाई पर विभागीय अफसर और वित्त नियंत्रक ब्रज बिहारी लगातार फाइलों को लेकर दबाव बना रहे थे. उन्हें नोटिस पर नोटिस जारी कर रहे थे. इससे भाई बेहद तनाव में थे. भाई के घर करीब 11 बजे सुबह नोटिस भेजी गई. इसके बाद वह घर से निकले और उन्होंने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली. भाई की एक बेटी है. पोस्टमार्टम से शव मिलने के बाद रिश्तेदारों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया.
घरवालों ने मौखिक आरोप लगाया था. अभी तक इस संबंध में कोई तहरीर नहीं दी है. वह जो भी तहरीर देंगे उसके आधार पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
मनोज कुमार कोरी, इंस्पेक्टर सैरपुर