उत्तर प्रदेश

Lucknow: विद्युत वितरण का निजीकरण स्वीकार नहीं: महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर

Admindelhi1
26 Nov 2024 5:04 AM GMT
Lucknow: विद्युत वितरण का निजीकरण स्वीकार नहीं: महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर
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लखनऊ: उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने कहा है कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा आज जारी प्रेस नोट के अनुसार वितरण क्षेत्रों का उड़ीसा मॉडल की तरह पी पी पी मोड पर निजीकरण किया जाना है, जो न ही उपभोक्ताओं के हित में है और न ही कर्मचारियों के। अतः निजीकरण स्वीकार्य नहीं है।

घाटे और कर्ज के नाम पर पॉवर कारपोरेशन को ऋण पाश (Debt Trap) में बताने के पहले जरूरी है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन बिन्दुवार यह बताय कि किन किन कारणों से घाटा हो रहा है और प्रबन्धन ने घाटा कम करने हेतु क्या कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अभियन्ता संघ घाटे के कारणों पर विस्तृत चर्चा करने हेतु हमेशा तैयार है किन्तु अत्यन्त खेद का विषय है कि प्रबन्धन ने आज तक सुधार कार्यक्रमों पर कभी भी संगठनों से वार्ता नहीं की है। उन्होंने बलपूर्वक कहा कि यदि अभियन्ता और कर्मचारी संघों को विश्वास में लेकर सुधार की कार्य योजना बनाई जाय तो एक वर्ष में ही सकारात्मक परिणाम आने लगेंगे यह हमारी गारंटी है।

उन्होंने कहा कि उड़ीसा का मॉडल पूरी तरीके से विफल हो चुका है। 1998 में उड़ीसा में सभी वितरण कंपनियों का पीपीपी मॉडल के आधार पर निजीकरण किया गया था। 17 साल बाद 2015 के फरवरी में उड़ीसा के विद्युत नियामक आयोग ने पूरी तरह विफल रहने के कारण रिलायंस पावर के विद्युत वितरण के तीनों लाइसेंस रद्द कर दिए थे । स्पष्ट है कि यह प्रयोग पूरी तरीके से विफल हो गया है। कोरोना काल के दौरान एक बार पुनः उड़ीसा की विद्युत वितरण कंपनियों का काम टाटा पावर को दिया गया है। अभी भी कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुए हैं और इसका उदाहरण देना या इसके उदाहरण के आधार पर उत्तर प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों का पीपीपी मॉडल पर निजीकरण किया जाना एक विफल प्रयोग को उत्तर प्रदेश में थोपना है जो न ही कर्मचारियों के हित में है और न ही उपभोक्ताओं के हित में।

उन्होंने कहा कि अप्रैल 2018 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा से वार्ता के बाद हुए लिखित समझौते और अक्टूबर 2020 में मा वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट कहा गया है कि उप्र में ऊर्जा क्षेत्र में कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। अतः यदि उक्त समझौतों का उल्लंघन कर निजीकरण की कवायद की जा रही है तो यह सरकार के साथ हुए समझौते का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि घाटे के कारणों पर बिन्दु वार अभियंता संघ विस्तृत प्रपत्र एक दो दिन में जारी करेगा।

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