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लखनऊ: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का पैसे हड़पने के लिए शादीशुदा लोग भी कुंवारे बन आवदेन कर रहे हैं. शहर में योजना के लिए उन युवतियों के परिजनों ने भी आवेदन कर दिया जिनकी शादी हो चुकी थी. कुछ की शादी इसी वर्ष हुई थी तो कुछ की नवम्बर-दिसम्बर में प्रस्तावित थी.
प्रशासन की ओर से करायी गयी जांच में दो युवतियों के दोबारा शादी के लिए आवेदन करने का खुलासा हुआ है. इनके आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं. इसके अलावा करीब 93 ऐसे आवेदनकर्ता पकड़े गए हैं जो योजना के लाभ के लिए योग्य ही नहीं थे. इनके आवेदन निरस्त हो गए हैं.
लखनऊ में 1954 शादियों का लक्ष्य रखा गया लेकिन लाभार्थियों के न मिलने से इस वर्ष समाज कल्याण विभाग 20 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा कर पाया है. सामूहिक विवाह समारोह के लिए ऑनलाइन,ऑफलाइन दोनों आवेदन मांगे गए थे. पिछले माह सामूहिक विवाह भी हुआ. समाज कल्याण विभाग ने शहरी क्षेत्रों में नगर निगम, ग्रामीण में प्रशासन के कर्मचारियों से आवेदनों की जांच करायी. प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि दो ऐसी युवतियां मिलीं जिनकी इसी वर्ष शादी हुई थी. जांच में पुष्टि पर आवेदन रद्द कर दिए गए हैं. एक युवती की शादी पहले से तय थी. 22 नवम्बर को शादी तय थी. शादी के कार्ड से खुलासा हुअ. इसने भी दोबारा शादी करने का प्रयास किया.
अधिक आमदनी के बाद भी गरीब दर्शाया
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह के लिए आवेदन करने वाले 93 और लोगों के आवेदन निरस्त हो चुके हैं. अयोग्य होने के बावजूद इन लोगों ने भी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए आवेदन किया था. प्रशासन की तरफ से करायी गयी जांच में इनके आवेदन सही नहीं मिले. योग्य भी नहीं थे. कुछ ने अधिक आमदनी के बाद भी स्वयं को गरीब दर्शाया था.
सामूहिक विवाह में सरकार देती है 51 हजार रुपये
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में एक जोड़े पर कुल 51 हजार रुपए की धनराशि सरकार व्यय करती है. इसमें कन्या के खाते में 35 हजार रुपए भेजा जाता है. 10 हजार रुपए से दहेज का सामान दिया जाता है. चांदी की बिछिया व पायल, कूकर आदि सामान दहेज में दिया जाता है. छह हजार रुपए खाने पीने व अन्य चीजों पर खर्च होता है.