- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- Lucknow: मंदिर के पास...
Lucknow: मंदिर के पास खुला शराब ठेका, माहौल हुआ ख़राब
लखनऊ: दुकान के बाहर फुटपाथ पर लड़ते जाम. दुकानों की सीढ़ियों पर तसल्ली से बैठकर मोबाइल पर देखते क्रिकेट मैच और शराब पीते पियक्कड़. इन पियक्कड़ों से बचकर निकलते आसपास रहने वाले लोग. ना पुलिस का डर और ना ही आसपास के बाजार की चिंता. यह नजारा था की रात खुर्रमनगर से विकास नगर की तरफ मुड़ते ही मंदिर के पास और कल्याणपुर की तरफ जाने वाली सड़क पर गांधीनगर के मुख्य बाजार में स्थित शराब की दुकानों के बाहर का माहौल.
हिन्दुस्तान ने ‘सड़क पर जाम’ अभियान के तहत खुर्रमनगर की इन दुकानों के आसपास के माहौल का जायजा लिया. गांधीनगर में बीच बाजार में शराब दुकान है. इस दुकानदार ने दुकान के बाहर की पीने वालों के लिए इंतजाम कर दिया है. पियक्कड़ों की भीड़ देखकर आसपास खोमचे और ठेलों वालों की भी भीड़ लग जाती है. आसपास व्यस्त बाजार है और घनी आबादी भी.
दुकान के बाहर पियक्कड़ों का मजमा लगा था. सड़क पर कंकरीट से बने अधूरे पिलर को ही टेबल बना लिया गया है. इसी पर पैग बनते और गटके जाते हैं. कई वहीं बाजार की सीढ़ियों पर बैठकर मजा ले रहे थे. बीच-बीच में दुकानदार यह जरूर कह रहा था कि ‘भाई, उधर साइड में जाकर पियो.’ ठीक यही माहौल विकास नगर की तरफ मुड़ते ही मंदिर के पास स्थित अंग्रेजी और देसी शराब की दुकानों के बाहर का था. यहां बेटरी रिक्शे और रिक्शे वालों की भीड़ था. सभी मजे से सड़क के किनारे रिक्शे पर बैठकर पीने में मस्त थे. यहां मंदिर जाने वाले भक्त शाम को अपना रास्ता बदल देते हैं. महिलाएं और स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियां इन स्थानों के सामने से नहीं गुजरती.
आसपास रहने वाले आ चुके हैं आजिज: सड़क पर जाम लड़ाते इन पियक्कड़ों की भीड़ से आसपास रहने वाले खासे परेशान हैं. गांधीनगर में रहने वाले व्यापारी बताते हैं कि इन्हीं पियक्कड़ों के कारण उनकी कन्फेक्शरी की दुकान में शाम को ग्राहक ही नहीं आते थे. दिन में भी लोग दुकान पर आने से कतराते थे. मजबूरन दुकान बंद किराये पर उठानी पड़ी. शाम तो वह और उनके परिवार के लोग पीछे पीएसी की तरफ पीछे गली से अपने घर आते हैं. रेस्टोरेंट संचालक बताते हैं कि इन पियक्कड़ों की वजह से उनके यहां भी शाम को ग्राहक नहीं आते हैं. उन्होंने कई बार शराब दुकान वाले से शिकायत की पर वह लड़ने लगे. शायद ही कोई दिन जाता हो, जब झगड़ा न होता हो.