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Lucknow: यूपीईसीएल के पूर्व एमडी व पत्नी पर गबन का मामला दर्ज
लखनऊ: प्रदेश पुलिस के आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने यूपी इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीईसीएल) के पूर्व एमडी व रिटायर पीसीएस अधिकारी दया शंकर श्रीवास्तव और उनकी पत्नी शशि श्रीवास्तव के खिलाफ सरकारी धन का गबन करने की एफआईआर दर्ज की है. इसमें साठगांठ करने वाले मो. कामरान को भी आरोपी बनाया गया है.
एफआईआर के मुताबिक शशि और कामरान ने एक निजी संस्था इन्नोटेक इन्फोकाम सोल्यूशन में खुद को डायरेक्टर दिखाकर बेरोजगारों को कौशल विकास के लिए मिली धनराशि से करीब छह लाख रुपये का गबन कर लिया. इस पूरी साठगांठ में तत्कालीन एमडी दयाशंकर श्रीवास्तव की भी संलिप्तता पाई गई. गबन 12 मार्च 08 से 21 दिसंबर 09 के बीच किया. एफआईआर ईओडब्ल्यू लखनऊ सेक्टर के निरीक्षक बृजेश कुमार यादव ने दर्ज कराई है.
ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर के मुताबिक इंदिरानगर निवासी शशि श्रीवास्तव व कामरान इन्नोटेक इन्फोकॉम सॉल्यूशंन संस्था में डायरेक्टर थे. इन दोनों ने आईडीबीआई बैंक की हजरतगंज, आईसीआईसीआई की इंदिरा नगर और पीएनबी की पीसीएफ बिल्डिंग शाखा में संयुक्त खाता खोला था. यूपीएलसी में एमडी रहते हुए दयाशंकर ने पीएनबी की इसी शाखा में अपने विभाग व कामरान की संस्था का संयुक्त खाता खुलाया. खाते में यूपीएलसी से एमडी दयाशंकर, संयुक्त प्रबंधक (वित्त) प्रदीप कुमार और इन्नोटेक इन्फोकॉम सॉल्यूशन की ओर से बतौर डायरेक्टर एमडी की पत्नी शशि व कामरान थे.
पत्नी सिर्फ एक दिन ही डायरेक्टर रही: इंस्पेक्टर बृजेश यादव के मुताबिक दयाशंकर की पत्नी शशि इन्नोटेक कंपनी में 11 दिसंबर 08 को डायरेक्टर बनी और दूसरे दिन ही 12 दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद खोले गए संयुक्त बैंक खातों में कामरान के साथ डायरेक्टर के रूप में है.
ईओडब्ल्यू की एफआईआर के मुताबिक तत्कालीन एमडी दयाशंकर ने इन्नोटेक इन्फोकॉम सॉल्यूशन लि. को काम देने व अनुबंध करने में सहयोग किया. साजिश में दयाशंकर, कामरान व शशि ने मिलकर शासकीय धन का गबन किया. यूपीएलसी ने इन्नोटेक इन्फोकाम सॉल्यूशन कंपनी को 42 लाख रुपये से अधिक रकम अलग अलग तारीखों में बैंक खाते में दी. जब 10 लाख रुपये एडवांस दिये गये तो इन्नोटेक संस्था की सप्लायर कंपनी ज्वांटिका टेक्नोलाजी को नौ लाख रुपये ही छह जून 09 दिए गए. इसी तरह यूपीएलसी द्वारा ज्वांटिका कंपनी को एडवांस देने के लिए इन्नोटेक कम्पनी को 15 लाख रुपये दिए गए. तब इन्नोटेक कंपनी ने सिर्फ 10 लाख रुपये ज्वांटिका कम्पनी को दिए.