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Lucknow: उपभोक्ता परिषद की घेराबंदी के बाद 15 दिन बढ़ा दी गई टेंडर खोलने की तारीख
लखनऊ: दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) एक बार फिर सवालों से घिरने के बीच बैकफुट में नजर आ रहा है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने ट्रांजैक्शन एडवाइजर (कंसल्टेंट) के टेंडर के पार्ट वन खोलने की तारीख को समय से पहले ही 15 दिन आगे बढ़ा दिया है।
गुपचुप तरीके से 5 दिसंबर को मसौदा कराया गया पास
पीपीपी मॉडल को लेकर इस पूरे प्रकरण में पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने पहले एक कंसल्टेंट गुपचुप तरीके से रखकर जल्दबाजी में 5 दिसंबर 2024 को मसौदा मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स में पास कराया। इस तरह पूर्वांचल व दक्षिणांचल के 42 जनपदों के निजीकरण का एलान कर दिया गया। इसी बीच विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) में अनेक विरोध प्रस्ताव और लोक महत्व याचिकाएं दाखिल कर वित्तीय व तकनीकी पैरामीटर में बड़े पैमाने पर कर्मियों का खुलासा कर दिया।
सवाल उठने पर 9 जनवरी को नया मसौसदा किया गया पारित
ऐसे में हड़कंप मचने पर मसौदे को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और फिर एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक बुलाई गई। इसके बाद 9 जनवरी 2025 को एक बार फिर ट्रांजैक्शन एडवाइजर नए सिरे से रखने के लिए पावर कारपोरेशन की तरफ से ट्रांजैक्शन एडवाइजर का टेंडर जारी करने का निर्देश दिया गया।
उपभोक्ता परिषद की घेराबंदी के बाद अचानक बढ़ा दी गई टेंडर खोलने की तारीख
इसके बाद टेंडर जारी करने के साथ निविदा पार्ट-वन तकनीकी बिड 3 फरवरी को 3 बजे खुलना प्रस्तावित किया गया। इसी बीच प्रीपेड कॉन्फ्रेंस में आई तीन कंसलटेंट कंपनियों को लेकर उपभोक्ता परिषद ने पुनः ट्रांजैक्शन एडवाइजर के कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को लेकर बड़ा सवाल उठाते हुए मोर्चा खोल दिया। पूरा मामला एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में पेश किया गया। इसके बाद पावर कारपोरेशन ने 1 फरवरी को यानी 3 फरवरी के दो दिन पहले पुनः टेंडर के पार्ट वन को खोलने की तारीख 15 दिन आगे बढ़ाकर 18 फरवरी 2025 कर दी।
टेंडर आगे भी बढ़ाए जाने की संभावना
ऐसा पहली बार हुआ है कि टेंडर की तारीख के पहले उसे आगे बढ़ाया गया और कोई भी कारण नहीं बताया गया। उपभोक्ता परिषद ने संभावना जताई है कि अभी टेंडर आगे और बढ़ाया जाएगा, क्योंकि अभी कई तकनीकी और वित्तीय मामले फंसे हुए हैं। सबसे बड़ा कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का मामला एनर्जी टास्क फोर्स में शिथिलता के लिए गया है, उस पर भी रिपोर्ट आनी बाकी है।
पावर कारपोरेशन के फैसलों पर सवाल, लगातार की जा रही सीबीआई जांच की मांग
उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन जिस प्रकार से दक्षिणांचल व पूर्वाचल के 42 जनपदों का ऐन केन प्रकरण जल्दबाजी में निजीकरण करते हुए देश के बड़े उद्योगपतियों को सौंपने की साजिश में लगा हुआ है, अब उसकी पूरी पोल खुल गई है। आज भी अब तक की कार्रवाई के अलग-अलग मसौदे की जांच कर ली जाए, तो बड़ा मामला सामने आएगा। इसीलिए बार-बार उपभोक्ता परिषद पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच करने की मांग उठा रहा है।
पूरी प्रक्रिया नियामक आयोग के दिए लाइसेंस के खिलाफ
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि पावर कारपोरेशन को ये मान लेना चाहिए कि पूरी प्रक्रिया विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 व विद्युत नियामक आयोग के दिए गए लाइसेंस के प्रावधानों के विपरीत है। ऐसे में कोई भी मसौदा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में चाहे कंसल्टेंट के माध्यम से तैयार कराया जाए या किसी और के जरिए, वह पूरी तरह वैधानिकता पर खरा नहीं उतरेगा। ये बात तय है कि आखिरकार उपभोक्ता परिषद की ही जीत होगी।