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Lucknow: केजीएमयू के रेडियोडयग्नोसिस विभाग में 3 एमआरआई सिटी स्कैनर मशीन लगी
लखनऊ: केजीएमयू के रेडियोडयग्नोसिस विभाग में को 15 साल बाद आधुनिक 3-टेस्ला एमआरआई और 160-स्लाइस सीटी स्कैनर की नई मशीन लगाई गई. केजीएमयू कुलपति सोनिया नित्यानंद और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के ग्लोबल डेवलपमेंट डिवीजन अध्यक्ष डॉ. क्रिस एलियास ने उद्घाटन किया. नई मशीन लगने से मरीजों की प्रतीक्षा सूची कम होगी. 15 टेस्ला के मुकाबले 3-टेस्ला एमआरआई में दोगुनी चुम्बकीय क्षमता है. नई मशीन से शोध में मदद मिलेगी. इससे शुरुआती दौर में बीमारी को पकड़ना संभव होगा. केजीएमयू में लगी पुरानी 1.5 टेस्ला एमआरआई पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत संचालित होती थी.
रेडियोडायग्नोसिस विभाग प्रमुख डॉ. अनित परिहार ने बताया कि नई एमआरआई से ब्रेन ट्यूमर की सटीक पहचान से ऑपरेशन की सफलता दर बढ़ेगी. इसकी मदद से दवा का कितना प्रभाव हो रहा है. यह भी जानना संभव होगा. स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, सिर और गर्दन के कैंसर और अन्य कैंसर का पता लगाने और स्टेजिंग में उत्कृष्ट है. इससे पूरे शरीर में गांठ, ट्यूमर और कैंसर की पहचान होगी.
एकेटीयू से जुड़े कॉलेजों के लिए एआईएसएचई कोड अनिवार्य: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) से सम्बद्ध कई संस्थानों के पास ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) कोड नहीं है. अब कुलपति ने सम्बद्ध संस्थानों से एआईएसएचई कोड के सम्बंध में जानकारी मांगी है.
कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि को सम्बद्ध संस्थानों के निदेशकों के साथ उन्होंने बैठक की. इसमें उन्होंने निदेशकों से पूछा कि उनके संस्थान के पास ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन(एआईएसएचई) कोड है या नहीं. कई संस्थानों के निदेशकों ने बताया कि उनके पास एआईएसएचई कोड नहीं है. कुलपति का कहना है कि एआईएसएचई कोड संस्थाओं के पास होना अति आवश्यक है. कुलपति ने कहा कि जिनके पास एआईएसएचई कोड नहीं है, वह इसकी सूचना ईमेल [email protected] के माध्यम से उपलब्ध कराएं, जिससे सम्बद्ध संस्थाओं को एआईएसएचई का कोड दिलवाने में एकेटीयू सहयोग कर सके. प्रदेश भर में पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा है. एकेटीयू ने अपने सम्बद्ध संस्थानों से भी पौधरोपण के लिए कहा है. निर्देश दिए हैं सभी परिसर में पौधरोपण करवाएं.