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उत्तर प्रदेश
UP जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में खिला कमल, पार्टी के मिशन को मुस्लिम सदस्यों ने भी बनाया पॉसिबल
jantaserishta.com
4 July 2021 6:16 AM GMT
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उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 75 में से 67 सीटों पर जीत मिली है. इस चुनाव परिणाम को यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी को इस चुनाव में मुस्लिमों का भी साथ मिला है. जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी को मुस्लिम वोटरों ने भी वोट दिया है.
बिजनौर जिला पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत में मुसलमान जिला पंचायत सदस्यों का भी बड़ा रोल है. 12 मुस्लिम सदस्यों ने भाजपा को वोट देकर भाजपा के सिर पर जीत का सेहरा बंधवा दिया. बिजनौर में हुए जिला पंचायत चुनाव में 12 मुसलमान सदस्यों ने भाजपा को जीत के पाले में ले जाकर बैठा दिया जबकि भारतीय जनता पार्टी के मात्र 8 सदस्य ही जिला पंचायत के चुनाव में जीत सके थे. चुनाव की घोषणा होने के बाद समाजवादी पार्टी अपने गठबंधन के नेताओं के साथ 40 सदस्य अपने पास होने का दावा कर रही थी और वहीं बीजेपी भी इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना चुकी थी.
बीजेपी ने सेंधमारी करते हुए पहले बसपा की सभी पांच जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में किया इसमें 4 मुसलमान थे. इसके अलावा बीजेपी ने निर्दलीय जीत कर आए पांच अन्य मुस्लिमों को भी अपने पाले में मिला लिया. लेकिन उसके बाद भी वह बहुमत के पास नहीं पहुंच रही थी तब उसने सपा के खेमे में भी सेंधमारी की और तीन मुस्लिम वोट सपा के खेमे से हासिल किए. इस तरह कुल 12 मुस्लिम वोटरों ने भारतीय जनता पार्टी को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया.
इन 12 मुस्लिम वोटर में 4 मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हैं. बीजेपी ने सबसे बड़ा दाव यह खेला की उसने मुस्लिम सदस्यों को लुभाने के लिए और विश्वास में लेने के लिए बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष साकेन्द्र चौधरी का प्रस्तावक भी बसपा से आई मुस्लिम सदस्य अनवर जेबा को बनाया ताकि अन्य मुस्लिम सदस्यों में विश्वास पैदा हो सके कि बीजेपी सच में उनको जोड़ कर रखना चाहती है क्योंकि मुस्लिम महिला को समर्थक बनाकर बीजेपी ने भी एक बड़ा रिस्क लिया था लेकिन बीजेपी अपनी रणनीति में सफल हो गई और बिजनौर में 8 सदस्य होने के बाद वह 22 सदस्य और जुटाकर जिला पंचायत की अध्यक्ष सीट पर पहुंच गई जबकि सपा गठबंधन की प्रत्याशी चरणजीत कौर मात्र 25 वोटों पर ही सिमट कर रह गई यानी बीजेपी की रणनीति के सामने सपा लोकदल का गठबंधन बीजेपी के चक्रव्यूह में फंसकर रह गया और उसे हार का मुंह देखना पड़ा.
फर्रुखाबाद में केवल एक ही मुस्लिम महिला ताहिरा मिसकात जिला पंचायत सदस्य हैं जो सपा के राजनैतिक परिवार से सम्बन्ध रखती हैं. उन्होंने अकेले ही वोट डाला है. कयास यह लगाए जा रहे कि उन्होंने अपना वोट विजयी भाजपा समर्थित प्रत्याशी मोनिका यादव को दिया है. हापुड़ में गढ़ निवासी आरिफ की पत्नी व जिला पंचायत सदस्य नसरीन ने भाजपा को वोट दिया. आरिफ सपा का मजबूत सदस्य था. यहां 19 में से 13 वोट भाजपा के खाते में गए.
गाजीपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव में चर्चा रही कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के दो जिला पंचायत सदस्यों ने भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया है, लेकिन दोनों सदस्यों ने इस बात का खंडन करते हुए बताया है कि यह AIMIM को बदनाम करने के लिए कुछ विरोधी जिला पंचायत सदस्यों द्वारा उड़ाई गई अफवाह है, जो कि खुद समाजवादी पार्टी से क्रास वोटिंग करके भाजपा को वोट किए हैं और हम लोगों को बदनाम कर रहे हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बसपा और सपा के सदस्यों ने भाजपा को वोट दिया है.
बता दें कि भदौरा, प्रथम गाज़ीपुर की पंचायत सदस्य रुखसाना खातून के बेटे बाबर खान जो उनके प्रतिनिधि हैं और भदौरा चतुर्थ से अकबरी खातून के प्रतिनिधि और पति अफजल आलम जो जिले के बड़े AIMIM के बड़े लीडर भी हैं ने संयुक्त रूप से कहा कि हमने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ वोटिंग की है और सपा को वोट किया है, क्योंकि साम्प्रदायिक ताकतों को हमें हराना है, चूंकि हमारे दल का कोई प्रत्याशी नहीं था और हमारे दल का निर्देश है कि साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ हमें लड़ना है और यहां सिर्फ भाजपा और सपा के ही मात्र दो उम्मीदवार थे इसलिए हमने भाजपा के खिलाफ समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी कुसुमलता के पक्ष में अपना मतदान किया है. उन्होंने कहा कि साजिशन लोग AIMIM को बदनाम कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है उतनी ही ताकत से AIMIM और मजबूत होगी.
वार्ड नम्बर 8 देसही देवरिया की जिला पंचायत सदस्य अम्बर जहां और भटनी की जमीला खातून ने भाजपा को वोट किया. इन्हें भाजपा अपनी लक्जरी बस से लेकर वोट कराने कलेक्ट्रेट गेट पर पहुंची थी.
जिला पंचायत के चुनाव में सपा के आठ सदस्य जीते थे और 10 मुस्लिम प्रत्याशी भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतकर आए थे. सपा मुस्लिम सदस्यों और निर्दलीयों के वोट के भरोसे जीत का दावा कर रही थी. कांग्रेस और बसपा के भी तीन-तीन सदस्य चुनाव जीतकर आए थे. सपा को इनके वोट मिलने की भी आस थी लेकिन नतीजे आए तो सपा को कुल नौ वोट ही मिले. अधिकतर मुस्लिम सदस्यों ने भी रविकांत के पक्ष में मतदान किया.
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