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वाराणसी: शुक्रवार की भोर में शापुरी परिवार ने प्रभु जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा को नम आंखों से विदा किया। इसके साथ ही तीन दिन से गुलजार मेला क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया। भोर में तीन बजे भगवान के विग्रह को कार से अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए रवाना किया गया। भगवान की विदाई के समय भक्तों की आंखें भी सजल हो उठीं।
नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ शुक्रवार को अस्सी स्थित मंदिर में विराजमान हुए। इसके साथ ही तीन दिवसीय रथयात्रा मेले का समापन हो गया। भगवान के विग्रह मंदिर में पहुंचने के साथ ही मंदिर परिसर भी गुलजार हो उठा। भक्तों ने भगवान के दर्शन किए और प्रसाद भी ग्रहण किया। सुबह से देर रात तक दर्शन पूजन के लिए भक्तों की कतार लगी रही।
शुक्रवार की भोर में शापुरी परिवार ने प्रभु जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा को नम आंखों से विदा किया। इसके साथ ही तीन दिन से गुलजार मेला क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया। भोर में तीन बजे भगवान के विग्रह को कार से अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए रवाना किया गया। भगवान की विदाई के समय भक्तों की आंखें भी सजल हो उठीं। तीन दिनों तक भगवान की सेवा में लगे सेवादार और स्थानीय लोगों ने भगवान से फिर अगले साल विराजमान होने की कामना की। मंदिर में विग्रह विराजमान हाेने के बाद प्रात: पांच बजे मंगला आरती के साथ प्रभु दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खुल गए। भगवान को भोग और शृंगार अर्पित करने के बाद भक्तों ने दर्शन पूजन आरंभ कर दिया। पूरा मंदिर परिसर भगवान जगन्नाथ के जयकारे से गूंजता रहा। वहीं दूसरी तरफ प्रात: पांच से छह बजे के बीच रथ को रथयात्रा से शहीद उद्यान सिगरा स्थित रथशाला में रखा गया।
शिवपुर में निकली रथयात्रा, भक्तों ने किए भगवान के दर्शन
शिवपुर में शुक्रवार को रथयात्रा मेला सजा। पं. बटुक नाथ पांडेय गणेश मंदिर की ओर से 114 साल से चली आ रही रथयात्रा मेले की परंपरा निभाई गई। महापौर अशोक तिवारी ने मेले का शुभारंभ शाम को चार बजे भगवान की आरती उतारकर किया। स्व. पं. बटुक नाथ पांडेय के वंशज पिछले 114 सालों से रथयात्रा की परंपरा निभा रहे हैं। महंत अशोक दुबे ने भगवान की आरती उतारी। मेले का समापन रात्रि में 11:30 बजे आरती के साथ हुआ।