उत्तर प्रदेश

लोहिया संस्थान मरीजों से रोज 4 लाख लेकर कुर्सी भी नहीं दे पा रहा

Admindelhi1
20 March 2024 7:31 AM GMT
लोहिया संस्थान मरीजों से रोज 4 लाख लेकर कुर्सी भी नहीं दे पा रहा
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मजबूरी में मरीज फर्श पर बैठकर पंजीकरण, इलाज और जांच आदि के काउंटरों के बाहर घंटों तक इंतजार करते हैं

मथुरा: लोहिया संस्थान रोजाना ओपीडी में आने वाले मरीजों से करीब दो लाख रुपए वसूल रहा है. लगभग इतना ही पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी की जांचों से उसकी कमाई हो रही है. मगर उन्हीं मरीज और तीमारदारों को बैठने के लिए कुर्सियां तक नहीं दे पा रहा है. मजबूरी में मरीज फर्श पर बैठकर पंजीकरण, इलाज और जांच आदि के काउंटरों के बाहर घंटों तक इंतजार करते हैं.

लोहिया संस्थान में लगभग 00 बेड हैं, इनमें ज्यादातर बेड हमेशा भरे रहते हैं. ओपीडी में रोजाना करीब 3000 नए पुराने मरीज आते हैं. ओपीडी मरीज से पंजीकरण के एवज में 0 रुपए फीस ली जा रही है. यह पंजीकरण छह माह के लिए मान्य है. नए मरीजों के पंजीकरण से संस्थान की रोजाना लगभग दो लाख रुपए की कमाई हो रही है. इसके बावजूद ओपीडी में पर्याप्त कुर्सियां भी नहीं लगाई गई हैं. हॉस्पिटल ब्लॉक में कुछ कुर्सियां हैं, जिनमें कई टूटी हैं. अफसरों को मरम्मत तक कराने तक की फुर्सत नहीं है. हॉस्पिटल ब्लॉक में रेडियोलॉजी विभाग भी बदइंतजामी हावी है. एक्सरे जांच कराने आए गोंडा के रवीन्द्र को कुर्सी नहीं मिली. वे पूरे वक्त फर्श पर बैठकर बारी का इंतजार करते रहे. ओपीडी पंजीकरण, जांच और शुल्क जमा काउंटर पर लंबी कतार लगती है. ओपीडी में देवरिया निवासी रामू फर्श पर लेटे दिखे. बेटे सतीश पंजीकरण करा रहे थे. बताया कि यहां बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां ही नहीं हैं.

अफसरों की अनदेखी से संस्थान की साख पर असर

प्रदेश सरकार मरीजों को हर संभव मदद का भरोसा दिला रही है. लोहिया संस्थान को करीब 800 करोड़ का भारी भरकम बजट भी जारी किया है. इसके बावजूद अफसर अनदेखी कर रहे हैं. कुर्सी-मेज, स्ट्रेचर, व्हील चेयर संसाधनों को जुटाने में टालमटोल हो रहा है. इससे सरकार-संस्थान की साख को धक्का लग रहा है.

संस्थान का दावा, पर्याप्त कुर्सियां लगीं

संस्थान के प्रवक्ता डॉक्टर एपी जैन का कहना है कि मरीज को इलाज संबंधी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. ओपीडी में पर्याप्त कुर्सियां भी लगी हैं. मरीज का दबाव अधिक है. हो सकता है इस कारण कुर्सियां खाली न हो. मामले को दिखाया जाएगा.

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