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आगरा न्यूज़: प्रदेश भर में 15 डाक्टरों की 449 चिकित्सा इकाइयों में आगरा की भागीदारी करीब 60 है. इनमें अस्पताल, क्लीनिक, पैथोलाजी लैब और रेडियो डायग्नोस्टिक सेंटर शामिल हैं. विभाग की धरपकड़ के बाद इन पर ताले लग सकते हैं.
इन सभी इकाइयों ने 2023-24 सत्र के लिए नवीनीकरण आवेदन किए हैं. इनसे ही पता चला है कि 2022-23 में इनके नाम पर प्रदेश भर में इकाइयां पहले से चल रही हैं. अब स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है. नोटिस दिए गए हैं. इसके बाद डाक्टर और संचालकों में खलबली मची हुई है. पकड़ में आईं कुल 449 इकाइयों में से 60 आगरा की हैं. इनमें 14 अस्पताल हैं और शेष लैब और डायग्नोस्टिक सेंटर हैं. अब इन सेंटरों से संबंधित डाक्टर पल्ला झाड़ने लगे हैं. आनलाइन लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया फिर शुरू हो गई है. पुराने डाक्टर की डिग्री कम दम पर आवेदन करने पर लाइसेंस मिलेगा नहीं उल्टे जांच झेलनी पड़ेगी. यानि संचालकों के पास सिर्फ दो विकल्प रह गए हैं. पहला, नए डाक्टर को नियमों के मुताबिक हायर करें और उसके नाम पर आवेदन किया जाए. दूसरा, अस्पताल और लैब बंद कर दी जाएं. दूसरे विकल्प की संभावनाएं अधिक हैं. चूंकि इन अस्पतालों को चलाने के लिए डाक्टर बहुत सोच-समझकर अपनी डिग्रियां देंगे. वह भी ऐसे डाक्टर होने चाहिए जो कहीं भी प्रैक्टिस नहीं करते हैं. ऐसे डाक्टर मिलना कठिन है.
अभी तक तीन अस्पतालों के संचालकों ने सरेंडर एप्लिकेशन भेजी हैं. यानि लाइसेंस खत्म करने का अनुरोध किया है. जबकि करीब 17 अन्य इकाइयों ने सरेंडर करने का आवेदन दिया है. कुल मिलाकर 20 इकाइयां बंद होने जा रही हैं. यह लोग अब कोई दूसरा धंधा करेंगे. चिकित्सा इकाइयां चलाने के लिए इन्हें डाक्टर नहीं मिल रहे हैं.