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- काशी की तरह आंध्र में...
वाराणसी न्यूज़: गंगा पुष्कारालु का काशी में हुआ आयोजन एक मॉडल बन गया है. पुष्करालु के काशी मॉडल के आधार पर ही आंध्र और तेलंगाना में होने वाले पुष्करलुओं की रूपरेखा तैयार की जाएगी. मेहमानों और मेजबानों ने मिलकर इस आदर्श मॉडल को तैयार किया है.
ये बातें राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहीं. वह 22 अप्रैल से आरंभ हुए गंगा पुष्करालु के केदार घाट पर आयोजित समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में होने वाले पुष्करालु में सारी तैयारियों के बाद भी कोई न कोई घटना-दुर्घटना हो जाती है लेकिन काशी में ऐसा कुछ नहीं हुआ. यहां ऐसी व्यवस्था हुई कि आठ लाख से अधिक लोगों का आना जाना हुआ लेकिन आवास, भोजन, यातायात, चिकित्सा, सुरक्षा में कोई असुविधा नहीं हुई. जहां जरूरत पड़ने पर मेहमानों और मेजबानों ने मिल कर मोर्चा संभाल लिया.
भावुक हो उठे श्री राव ने कहा कि शहर के क्षेत्र विशेष में अचानक लाखों लोगों की मौजूदगी बढ़ने से स्थानीय लोगों को निश्चित रूप से कुछ परेशानियां हुई होंगी लेकिन सभी ने तीर्थयात्रियों की सुविधाओं को वरीयता दी. यहां मिले आत्मीय सहयोग से तेलुगुभाषियों में काशीवासियों के प्रति आत्मीयता का भाव और बढ़ गया है.
संगीत के पुष्प भी अर्पित हुए इस अवसर पर बीएचयू के मंच एवं संगीत कला संकाय के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने गायन वादन किया. हैदराबाद की किशोरी सर्वज्ञा समिधा ने शिव शम्भो गीत का प्रभावी गायन किया. संकाय के डीन प्रो. के. शशि कुमार ने भी शास्त्रत्त्ीय गायन किया. नृत्य कला विभाग की छात्राओं ने भरत नाट्यम की प्रस्तुति दी.
रामतारक आश्रम से निकाली गई शोभायात्रा
इससे पूर्व मानसरोवर स्थित श्रीराम तारक आंध्र आश्रम से शोभायात्रा निकाली गई. केदारखण्ड की परिक्रमा के दौरान शोभायात्रा में शामिल यात्री चिंतामणि गणेश और गौरी केदारेश्वर मंदिर में दर्शन पूजन करते हुए केदार घाट पहुंचे. वहां मां गंगा का पूजन किया. गंगा को जल-हल्दी, दूध के बाद जोगिया रंग की साड़ी समर्पित की गई. पूजन में अमृतानंद सरस्वती, जीवीएल नरसिम्हा राव, चल्ला सुब्बाराव शास्त्रत्त्ी, चल्ला अन्नपूर्णा शास्त्रत्त्ी, एमवीआर शर्मा, वीवी. सुंदर शास्त्रत्त्ी आदि शामिल हुए.