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उत्तर प्रदेश
क्लीनिक कर्मचारी की हत्या की दोषी पत्नी व फूफा को आजीवन कारावास,सिर में मारी गई थी गोली
Tara Tandi
7 Oct 2023 1:02 PM GMT
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गोरखपुर जिले में गीडा इलाके के गहासाड़ में क्लीनिक कर्मचारी ओंकार उपाध्याय की हत्या में शामिल पत्नी नीलम उपाध्याय और उसके फूफा रामअशीष मिश्रा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। हत्या कर शव छिपाने का जुर्म सिद्ध होने पर शुक्रवार को अपर जनपद न्यायाधीश जितेंद्र कुमार ने सजा सुनाते हुए 15 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड नहीं देने नौ माह का कारावास अलग से भुगतना होगा।
जानकारी के मुताबिक, चिलुआताल के मोहम्मदपुर माफी गांव निवासी ओंकार उपाध्याय की पत्नी नीलम का उसके सगे फूफा से शादी से पहले से ही अनैतिक संबंध था। इसकी भनक लगने पर ओंकार ने विरोध शुरू किया तो उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शव को रेलवे ट्रैक के किनारे फेंका गया था।
कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता धर्मेन्द्र कुमार दुबे ने बताया कि मृतक के भाई अत्रिमुनि उपाध्याय ने केस दर्ज कराया गया था। बताया गया था कि 24 नवंबर 2020 की रात करीब 8:15 बजे उसका भाई ओंकार उपाध्याय घर से यह कह कर गया कि दोस्त के जीजा को लेने सहजनवां जा रहा हैं, थोड़ी देर में वापस आ जाएगा।
काफी समय बीतने के बाद भी जब वह घर नहीं आए तो अत्रिमुनि उन्हें तलाशते हुए गाहासाड़ रेलवे क्राॅसिंग के पास पहुंचे तो देखा कि भाई ओंकार की लाश पड़ी है। पुलिस की विवेचना के दौरान अभियुक्तों का नाम प्रकाश में आया और पता चला कि ओंकार की पत्नी नीलम का उसके फूफा अभियुक्त राम आशीष से अनैतिक संबंध था। अभियुक्ता नीलम ने साजिश कर राम आशीष के साथ मिलकर अपने पति की हत्या कर दी थी।
लाश के पास मिले मोबाइल से खुला था पत्नी-फूफा का खेल
हत्या के बाद पुलिस जब मौके पर पहुंची थी तो वहां से एक मोबाइल फोन मिला था। जांच में पता चला कि मोबाइल फोन रामअशीष का है, जिसे वारदात को अंजाम देने के लिए खरीदा गया था। इस मोबाइल फोन से सिर्फ दो ही फोन किए गए थे। दोनों ही फोन ओंकार की पत्नी नीलम के नंबर पर किए गए थे। उसने फोन कर ओंकार की लोकेशन ली थी और हत्या करने के बाद मोबाइल फोन को वहीं पर फेंक दिया था।
पुलिस इसी मोबाइल फोन की मदद से हत्यारोपियों तक पहुंची थी। संदेह के आधार पर हिरासत में लेने के बाद पूछताछ में पूरा मामला खुलकर सामने आ गया था। पुलिस की जांच रिपोर्ट में सीडीआर के आधार पर अधिवक्ता ने इसे ही साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किया। जिस आधार पर कोर्ट ने आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
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