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बड़ी खबर
बरेली। चुनावी रंजिश में वृद्धा की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी प्रेमनगर के बांके की छावनी निवासी दो सगे भाइयों अजय व विजय उनके सहयोगी भरत, दयाराम को सत्र परीक्षण में दोषी करार दिया गया। अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट-4 अब्दुल कैयूम की कोर्ट ने सभी आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। प्रत्येक अभियुक्त पर 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। जुर्माने की आधी रकम मृतका की पुत्री वादिनी सुषमा को मिलेगी।एडीजीसी क्राइम अनूप कुमार कोहरवाल ने बताया कि मृतका की पुत्री सुषमा ने तहरीर में बताया था कि वह थाना प्रेमनगर स्थित मोहल्ला बांके की छावनी की रहने वाली है। उसके मकान के पास मां ओमवती अपने मकान में रहती थीं। मोहल्ले के अजय से चुनावी रंजिश चली आ रही थी। इसलिए अजय अपने भाई विजय पड़ोसी भरत और दयाराम के साथ 2 जून 2018 को दिन में लगभग 2.45 बजे उसकी मां के साथ घर के दरवाजे पर गाली- गलौज करने लगे, इस पर मां ने विरोध किया तो सभी लोग उसको मंदिर पर ले गए। विजय, भरत और दयाराम ने मां को पकड़ लिया और अजय ने उनके सिर पर तमंचा सटाकर गोली मार दी थी। वादिनी को धक्का देकर चारों भाग गए। मां जमीन पर गिरकर तड़पने लगी। गोली की आवाज सुनकर परिवार के और भी सदस्य पहुंचे और जिला अस्पताल लेकर अधिवक्ता ने परीक्षण के दौरान गए, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत कथानक के समर्थन में 10 गवाह घोषित कर दिया। शासकीय पेश किये थे।
तमंचा बरामद किया, पुलिस नहीं दे सकी गवाह आर्म्स एक्ट में अजय बरी
घटना के पांच दिन बाद प्रेमनगर थाना पुलिस को मुखबिर ने सूचना दी कि ओमवती का हत्यारोपी बसंत बिहार चौराहे पर खड़ा है और कहीं दूसरी जगह जाने के फिराक में है। इस पर पुलिस ने उसे हार्टमन पुलिया के मोड़ से दबोचा था। पूछताछ में अजय ने पुलिस को बताया कि ओमवती आए दिन गाली-गलौज करती थी। 2 जून 2018 को गली से गुजर रहे थे, गाली- गलौज पर बात बढ़ गई। हम लोग उसे मंदिर के मोड़ पर लाए और मैंने अपने पास मौजूद 315 बोर के तमंचे से ओमवती के सिर में गोली मार दी। वह मौके पर ही गिर गई। हम लोग अलग-अलग भाग गए थे। मंदिर के पास रेलवे की टूटी हुई बाउंड्री के अंदर और वहीं पड़े कूड़े के ढेर से तमंचा छिपाकर रेलवे लाइन से होकर इज्जतनगर स्टेशन की ओर भाग गया था। पुलिस ने अजय की निशानदेही पर तमंचा बरामद कर नाल खोलकर देखा तो नाल में खोखा फंसा हुआ था। आला कत्ल बरामद होने पर हत्या के मुकदमे के अलावा भी अजय पर आयुध अधिनियम के तहत भी अलग से केस चलाया गया। कोर्ट ने परीक्षण में पाया कि पुलिस की इस कहानी का कोई गवाह नहीं था। न ही एफएसएल रिपोर्ट थी। जिससे साबित हो सकता कि आला कत्ल बरामद तमंचा ही है, इस वजह से अदालत ने आयुध अधिनियम के आरोप से अजय को बरी कर दिया।
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