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इटावा। विशेष न्यायाधीश एससीएसटी कोर्ट कुमार प्रशांत ने एससीएसटी वर्ग की एक युवती के साथ नौ वर्ष पूर्व हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले की सुनवाई करते हुए तीन लोगों को दोषी पाया। कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 22-22 हजार के अर्थदंड से भी दंडित किया। जुर्माना न देने पर उन्हें छह माह का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा।
जिला शासकीय अधिवक्ता शिव कुमार शुक्ला व विशेष लोक अभियोजक रमाकांत चतुर्वेदी ने बताया कि भरथना थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली युवती 24 जून 2014 की शाम को अपने घर से खेतों में शौच क्रिया के लिए गई थी। तभी खेतों में गांव के चार लोगों ने उसे पकड़ लिया और उसे जबरन खींचकर झाड़ियों में ले गए। जहां चारों ने तमंचा के बल पर उसके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी।
बाद में युवती के अपने घर आकर अपने साथ हुई घटना की जानकारी दी। पीडिता ने इसकी शिकायत एसएसपी से की। एसएसपी के आदेश पर मामला दर्ज किया। पुलिस ने गांव के ही नवीन खां, पप्पू शाक्य राजीव कठेरिया व राम अवतार के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने छानबीन के बाद चारों के खिलाफ आरोपपत्र कोर्ट में पेश कर दिए। बाद में एक आरोपी राम अवतार कर ट्रायल के दौरान मौत हो गई।
मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एससीएसटी कोर्ट में हुई। विशेष लोक अभियोजक रमाकांत चतुर्वेदी के द्वारा पेश किए साक्ष्यों च गवाहों के आधार पर कोर्ट ने नवीन खां, पप्पू खां व राजीव को दुष्कर्म का दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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Admin4
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