उत्तर प्रदेश

झांसी पॉलीटेक्निक गैंगरेप में 8 दोषियों को उम्रकैद

Admin4
4 Oct 2022 9:19 AM GMT
झांसी पॉलीटेक्निक गैंगरेप में 8 दोषियों को उम्रकैद
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झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज के छात्रावास में लगभग 23 महीने पहले दिन दहाड़े एक नाबालिग छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले के 8 दोषियों को अदालत ने सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। उन पर 56-56 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। कुल जुर्माना 4.48 लाख में से आधी रकम पीड़िता को प्रतिकर के रूप में दी जाएगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील विजय सिंह ने अदालत में पैरवी की। उन्होंने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायालय में न्यायाधीश संख्या 09 ने मात्र छह माह में मामले की सुनवायी पूरी करते हुए दोषियों को सजा सुनायी।

कोर्ट ने आरोपी पक्ष की दलीलें की खारिज

पॉलीटेक्निक कॉलेज छात्रावास में 10 अक्टूबर 2020 को दिन दहाड़े नाबालिग छात्रा से गैंगरेप, लूटपाट मारपीट करने के आरोप में, भरत निवासी महोबा, धर्मेंद्र सेन निवासी रानीपुर, मोनू पार्या निवासी रानीपुर, शैलेंद्र नाथ पाठक निवासी गोंडा, मयंक शिवहरे निवासी टहरौली, संजय कुशवाह निवासी महोबा, विपिन निवासी प्रयागराज और महोबा निवासी रोहित को जिला कारागार में रखा गया था। सभी आरोपियों को पुलिस सुरक्षा में आज दोपहर न्यायालय में पेश किया गया। जहां बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि सभी आरोपी पढ़ने वाले छात्र हैं और उनके खिलाफ पूर्व में कोई अपराध दर्ज नहीं है।

गैंगरेप एक जघन्य अपराध...माफी और सजा कम करने लायक नहीं

वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे सिंह ने पीड़िता का पक्ष रखते हुए बताया कि नाबालिग छात्रा से गैंगरेप एक जघन्य अपराध है, जो माफी और सजा कम करने लायक नहीं है। सुनवाई कर रहे अपर सत्र न्यायाधीश कक्ष संख्या 09 ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी पक्ष की दलील को खारिज करते हुए सभी आठों को दोषी करार दिया और गैंगरेप तथा पोक्सो एक्ट में आजीवन कारावास की सजा सुना दी। न्यायालय ने माना कि आरोपियों ने जो जघन्य अपराध किया वह माफी लायक नही है। यह भी स्वीकार किया कि अगर घटना के समय पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो और भी बड़ी घटना हो सकती थी।

एसआई की वजह से बड़ी घटना होने से बची थी

गौरतलब है कि लगभग दो वर्ष पहले 10 अक्टूबर 2020 को दिन के समय पॉलीटेक्निक कॉलेज में नाबालिग छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के इस सनसनीखेज मामले से हडकंप मच गया था। जानकारी मिलते ही तत्कालीन पुलिस एवं जिला प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई की थी। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए बनायी गयी टीमों ने 24 घंटे में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई भी की थी। यह घटना निर्भया कांड से बड़ी घटना बन सकती थी यदि समय रहते एसआई विक्रांत न पहुंचे होते। आरोपियों के पक्ष ने अपने बचाव में हाई कोर्ट में भी अपील की थी लेकिन घटना जघन्य होने के कारण उन्हें कोई राहत नहीं मिली।

पीड़िता को 23 माह बाद इंसाफ मिला

अपर सत्र न्यायाधीश कक्ष संख्या 9 में छह माह में ही सुनवाई करते हुए फैसला सुना दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील ने ठोस पैरवी की और पीड़िता को 23 माह बाद इंसाफ मिला। इस पूरे घटना क्रम को निर्भया कांड से बड़ा होने से बचाने में झांसी पुलिस कंट्रोल रूम में तैनात एस आई विक्रांत की तत्परता की न्यायालय ने भी प्रशंसा की। न्यायालय में 33 गवाह गुजरे और सभी पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए अडिग रहे।

पीड़िता समेत अहम 12 गवाहों ने दी गवाही

हालांकि अभियोजन पक्ष ने अहम 12 गवाहों की कोर्ट में गवाही कराई गई। पीड़िता, उसका चाचा, दोस्त, ग्वालियर चौकी का तत्कालीन एसआई विक्रांत, एफआईआर लेखक महिला कांस्टेबल, पीड़िता की मेडिकल जांच करने वाली डॉक्टर, तपन साइबर कैफे का मालिक, पीड़िता व उसके दोस्त की मेडिकल जांच करने वाली डॉक्टर, विवेचक, समेत अन्य गवाहों की गवाही हुई।

घटना को अंजाम देने वाले 8 दरिदें :-

भरत कुमार (20) पुत्र लल्ला कुशवाहा निवासी छानीकला, थाना कबरई, महोबा

रोहित कुमार (22) पुत्र हरीकांत सैनी निवासी वार्ड 11, कुलपहाड़, महोबा

धर्मेंद्र सेन (19) पुत्र रमेश चंद्र निवासी रानीपुर, झांसी

मोनू पारया (20) पुत्र हरीदास निवासी रौन्यापुर, रानीपुर, झांसी

शैलेंद्र नाथ पाठक (18) पुत्र हरिनाथ निवासी पाठकपुरवा, बजीरगंज, गोंडा

मयंक शिवहरे (22) पुत्र धीरज कुमार निवासी खिल्लावारी, टहरौली, झांसी

विपिन तिवारी (24) पुत्र विनय निवासी दामोदरपुर उर्फ तिवारीपुर, थाना थरवई, प्रयागराज

संजय कुशवाह (20) पुत्र अरविंद निवासी मुढारी, थाना कुलपहाड़, महोबा

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