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सरधना: चर्च परिसर के स्थित तालाब का अस्तित्व सरकारी मशीनरी की वजह से खतरे में है। पूर्व सभासद की शिकायत पर की गई ताालाब की पैमाइश में लेखपाल ने फिर खेल कर दिया। लेखपाल ने रिपोर्ट में लिखा है कि मौके पर कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा है। जबकि हकीकत यह है कि वर्तमान में भूमि पर बड़े स्तर पर निर्माण कार्य किया जा रहा है।
सेटिंग का खेल इतना मजबूत है कि लेखपाल उच्चाधिकारियों को गुमराह करने से भी नहीं चूक रहा है। सांठगांठ यहां तक है कि रिपोर्ट में शिकायत का हवाला तक नहंी खोला गया है। लेखपाल एक शब्द तक नहीं लिख पाया कि शिकायत सही या फिर गलत। सभी जगह इसी तरह के लेखपाल तैनात कर दिए जाएं तो शायद ही कोई तालाब बचेगा।
दरअसल, चर्च परिसर के पीछे एक विशाल तालाब है। जिसके अधिकांश भाग पर कब्जा हो चुका है। पिछले कुछ महीनों से पूर्व सभासद वकील अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। शिकायत कर रहा कि तालाब की भूमि पर कब्जा किया जा रहा है। हल्का लेखपाल की सेटिंग से कब्जे का खेल चल रहा है। तहसील से लेकर डीएम, कमिश्नर और मुख्यमंत्री तक शिकायत की गई।
मगर घूम फिरकर जांच उसकी हल्का लेखपाल को सौंप दी जाती है, जिस पर भ्रष्टाचार का आरोप है। जिसका नतीजा यह है कि भूमि की बाउंड्री करके भराव कर दिया गया। लेखपाल हर बार गोलमोल रिपोर्ट अधिकारियों को पेश करता। एसडीएम की सख्ती के बाद 15 दिन पूर्व लेखपाल ने फिर से तालाब की पैमाइश की। पहले तो पैमाइश की रिपोर्ट पेश करने को लेखपाल तैयार नहीं हुआ।
अब रिपोर्ट भी पेश की तो हर बार की तरह इस बार भी खेल कर दिया। रिपोर्ट में लिखा है कि तालाब की भूमि खसरा संख्या 2488 पर कुछ भवन बने हुए हैं, मंदिर आदि बना हुआ। जिनको लेकर कोर्ट में मुकदमे विचाराधीन हैं। वर्तमान में यहां कोई निर्माण नहीं चल रहा है। जबकि हकीकत यह है कि भूमि पर युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य किया जा रहा है।
यहां तक की लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में शिकायत का जवाब तक नहीं लिखा है कि शिकायत सही है या फिर गलत। लेखपाल की यह रिपोर्ट उसकी सेटिंग की पोल खोल रही है। कुल मिलाकर एक अकेला लेखपाल तमाम अधिकारियों को गुमराह कर रहा है। यदि सभी हल्कों पर इसी तरह के लेखपाल तैनात कर दिए जाएं तो शायद की क्षेत्र में कोई तालाब बचेगा।