- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- बाल श्रम निषेध दिवस के...
बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर विधिक जागरूकता शिविर
हाथरस: उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशन मंे जनपद न्यायाधीश, अध्यक्ष मृदुला कुमार के आदेशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के प्रभारी सचिव मुन्नालाल के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में श्रम प्रवर्तन विभाग द्वारा राधा स्वामी बगीची, नगला भोजा, हाथरस में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें श्रम प्रर्वतन अधिकारी, मौहम्मद आजम, ममता अरूण, पराविधिक स्वयं सेवक साहब सिंह आदि की उपस्थिति में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन करते हुए श्रम प्रवर्तन अधिकारी मौहम्मद आजम ने उपस्थित जनता को जानकारी देते हुए बताया कि 12 जून को मनाए जाने वाले बाल श्रम के खिलाफ इस दिवस का उद्देश्य बाल श्रम के खिलाफ एक वैश्विक आंदोलन को प्रेरित करना है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 2002 में इस दिवस की शुरुआत की। बाल श्रम एक गंभीर समस्या है जो बच्चों को उनकी मासूमियत, अधिकारों और सामान्य बचपन से वंचित करती है। उनका शोषण किया जाता है और उन्हें खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बाल श्रम को रोकने के लिए लगातार अभियान चला कर बाल श्रमिकों को कार्य करने से मुक्त कराया जा रहा है।
श्रम प्रर्वतन अधिकारी ममता अरूण ने अपने वक्तव्य में जानकारी देते हुए बताया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 2002 में बाल श्रम के खिलाफ इस दिवस की शुरुआत की। तब से, इस आयोजन ने गति पकड़ ली है और अब दुनिया भर में बाल श्रम दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह दिवस बाल श्रम को समाप्त करने और बच्चों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए सरकारों, नियोक्ताओं, नागरिक समाज संगठनों और व्यक्तियों द्वारा प्रोत्साहित करता है ताकि एक ऐसी दुनिया बनाई जा सके, जहां सभी बच्चे अपने अधिकारों का आनंद ले सकें और शोषण और दुर्व्यवहार से मुक्त रह सकें।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के पराविधिक स्वयं सेवक साहब सिंह ने उपस्थित जनता को जानकारी देते हुए बताया कि बाल श्रम एक सामाजिक आर्थिक और राष्ट्रीय समस्या के साथ-साथ एक वैश्विक समस्या भी है। जिसके चलते बच्चे शिक्षा से दूर हो जाते हैं। बाल श्रम से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त कानूनी जानकारी देते हुये बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गरीब व्यक्ति, महिला एवं बच्चों, जातीय हिंसा, बाढ़, सूखा, एवं जरूरत मंद लोगों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराना, विधिक साक्षरता शिविरों के माध्यम से जनता को प्राधिकरण के उद्देश्यों की जानकारी देना, लोक अदालतों का आयोजन कराना, गरीब एवं पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराना है।