उत्तर प्रदेश

परिवार के पेट की भूख खत्म करने के लिए निकले थे घर से, दांव पर लग गई जिंदगी

Admin Delhi 1
25 Feb 2023 10:59 AM GMT
परिवार के पेट की भूख खत्म करने के लिए निकले थे घर से, दांव पर लग गई जिंदगी
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मेरठ: मजदूरी एक हजार रुपये प्रतिदिन मिलनी थी, यह ठेकेदार से तय करने के बाद ही श्रमिक क्रांतिधरा पर पहुंचे थे, लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि उनकी जिंदगी दांव पर लगने जा रही है। पेट की भूख भी एक ऐसा संवेग है जिसे हर हाल में सभी व्यक्तियों की आवश्यकता माना गया है। परिवार और बच्चों के पेट की भूख की आग बुझाने के लिए वो सात मजदूर जम्मू से कई 100 किमी दूरी तय कर रोजी रोटी के लिए निकले थे।

मात्र एक दिन में हजार रुपये की दिहाड़ी की लालसा लिए निकले उन मजदूरों ने सोचा भी नहीं था कि मौत उन्हें यहां खींचकर ले आयेगी। उन्हें तो बस यही आस थी कि उन्हें रोज के हिसाब से एक हजार रुपये मिलने वाले हैं। इन चंद रुपयों से वे अपने बच्चों का पेट पाल लेंगे। लेकिन अनहोनी को तो कुछ ओर ही मंजूर था। सातों मजदूर धमाके के साथ मजदूरी करते करते मौत की नींद सो गए। पेट की वह भूख धमाके के साथ मलबे में दबकर रह गई।

जम्मू, उधमपुर के रहने वाले वो 27 मजदूर बलदेवा पुत्र रुमाल, बलवन्त पुत्र शरणदास, बलबीर, सतपाल, कालू, रमेश, होशियार सिंह, यशपाल, कृष्ण कुमार, रतनचन्द, सन्दरु, गोपाल सिंह, शेरु, श्यामलाल,रतन आदि यह सोचकर अपने घर से निकले थे कि मेरठ में एक बड़े कोल्ड स्टोर पर उन्हें एक दिन के हिसाब से एक हजार रुपया मजदूरी मिलेगी। महीने के हिसाब से तीस हजार रुपया पा लेंगे। 30 हजार महीने कमाने की बात सोचकर सभी मजदूर गुरुवार की शाम को जम्मू से दौराला मेरठ 713 किमी दूरी तय करके दौराला मेरठ में हाइवे पर उतर गए थे।

सभी अपने घर पर परिजनों को कहकर आये थे कि अच्छा काम मिल गया है। जल्दी ही वापस लौट आयेंगे। लेकिन होनी को कुछ ओर ही मंजूर था। शुक्रवार को दिन निकलते ही सभी मजदूर आलू की बोरियां लादने के काम पर लद गए थे। दोपहर तक काम करके थक चुके थे। अचानक तीन बजे के आसपास कोल्ड स्टोर में अचानक धमाका होता है और धूल का गुब्बार उठकर आसमान में दिखाई देता है।

चंद सेकं ड में दर्जनों वो सात मजदूर कालू, बलदेव, बलबीर, सतपाल, रमेश, होशियार सिंह बलवन्त जो पीठ पर बोरियां लादकर चल रहे थे, मौत की धूल के गुब्बार में मलबे के नीचे समा गए। पेट की भूख की लालसा पाले इन मजदूरों की मौत की खबर उनके परिवार वालों को मिली तो उन्हें इसका बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ। उनके घरों पर मौत की खबर मिलते ही मातम छा गया।

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