उत्तर प्रदेश

LDA को श्रीलंका से मिली एनओसी, 7 साल से अटके मकानों का निर्माण होगा शुरू

Renuka Sahu
15 Jun 2022 2:50 AM GMT
LDA gets NOC from Sri Lanka, construction of houses stuck for 7 years will start
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फाइल फोटो 

एलडीए की देवपुर पारा योजना के 1560 आवंटियों के मकानों के निर्माण का रास्ता खुल गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एलडीए की देवपुर पारा योजना के 1560 आवंटियों के मकानों के निर्माण का रास्ता खुल गया है। करीब 10 वीं बार के टेण्डर में निर्माण के लिए आगे आयी कम्पनी के अनुभव प्रमाण पत्र की श्रीलंका से जांच हो गयी है। भारतीय दूतावास की मदद से इसकी जांच करायी गयी। विदेश मंत्रालय ने इसमें काफी मदद की। एलडीए की देवपुर पारा योजना के इन आवंटियों को सात वर्ष बाद भी मकान नहीं मिल पाया है। एलडीए ने वर्ष 2015 में मकान आवंटित किया था। 2018 में लोगों को मकान का कब्जा देने का वादा किया था लेकिन अभी तक मकान बन ही नहीं पाए हैं।

पहले नौ बार एलडीए इन मकानों के निर्माण के लिए टेण्डर करा चुका है। 10 वीं बार फिर टेण्डर कराया गया तो जो कम्पनी आयी उसका अनुभव प्रमाण पत्र श्रीलंका का था। श्रीलंका से इसका सत्यापन नहीं हो पा रहा था। जिससे एलडीए इसके बारे में निर्णय नहीं ले पा रहा था। खबर छपने के बाद आला अधिकारियों ने विदेश मंत्रालय व भारतीय दूतावास से सम्पर्क साधा था। प्राधिकरण ने पहले श्रीलंका की अथारिटी को भी इसके बारे में पत्र लिखा था लेकिन उसने सीधे कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया था। जिसके बाद विदेश मंत्रालय व भारतीय दूतावास से सम्पर्क साधा गया।
दूतावास के प्रयास से एलडीए को कामयाबी मिल गयी। श्रीलंका की अथारिटी ने दूतावास के माध्यम से अनुभव प्रमाण पत्र का सत्यापन करा दिया है। अधिशासी अभियन्ता संजीव गुप्ता ने बताया कि अनुभव प्रमाण पत्र का सत्यापन हो गया है। जो की सही है। जिस कम्पनी के प्रमाण पत्र को सत्यापन के लिए भेजा गया था वह तमिलनाडु की है। इन मकानों के निर्माण पर कुल 100 करोड़ रुपए खर्च होना है। एलडीए ने टेंडर में करीब 104 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए थे। लेकिन तमिलनाडु की यह कंपनी 100 करोड़ में इन 1560 मकानों के निर्माण को तैयार है।
देवपुर पारा योजना के तहत ईडब्ल्यूएस के 800 मकान है, एलआईजी के 304 मकान है, एमएमआईजी के 456 मकान है। इन मकानों की निर्माण लागत 100 करोड़ रुपये आंकी गई है। ये मकान लोगों को 2015 में आवंटित हुए थे। इनका कब्जा 2018 में दिया जाना था लेकिन अभी तक बनने के इंतजार में हैं।
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