उत्तर प्रदेश

लखीमपुर खीरी हिंसा: मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर हाईकोर्ट ने 11 जनवरी तक फैसला रखा सुरक्षित

Deepa Sahu
6 Jan 2022 8:48 AM GMT
लखीमपुर खीरी हिंसा: मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर हाईकोर्ट ने 11 जनवरी तक फैसला रखा सुरक्षित
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लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri case) मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्र (Ashish Mishra Teni) की जमानत मामले में आदेश 11 जनवरी तक के लिए सुरक्षित रख दिया है.

लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri case) मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्र (Ashish Mishra Teni) की जमानत मामले में आदेश 11 जनवरी तक के लिए सुरक्षित रख दिया है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 11 जनवरी को ही होगी. इसके पहले लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में जुटी SIT ने 5000 पन्नों की चार्जशीट स्थानीय कोर्ट में दाखिल की थी. इसमें 14 आरोपी बनाए गए थे. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र को लखीमपुर हिंसा का मुख्य आरोपी बनाया गया था.

बता दें कि लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा मामले में आशीष मिश्र समेत सभी 13 आरोपी जेल में बंद है. हिंसा के मामले में एसआईटी ने 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. चार्जशीट में वीरेंद्र शुक्ला का नाम जोड़ा गया है. वीरेंद्र शुक्ला पर आरोप है कि वो घटनास्थल पर मौजूद था. हिंसा वाले दिन आशीष मिश्र की थार के पीछे वीरेंद्र शुक्ला की स्कॉर्पियो चल रही थी. तिकुनिया में हिंसा के बाद वीरेंद्र शुक्ला ने अपनी स्कॉर्पियो को छिपा दी थी. उसने गाड़ी के मौके पर नहीं होने की बात कही थी.


किसानों पर चढ़ाई थी गाड़ी
बता दें कि इसी साल तीन अक्टूबर को यूपी में लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में चार किसानों को एक एसयूवी कार ने कुचल दिया था. इस घटना के बाद हुई हिंसा में भी कुछ लोग मारे गए थे. घटना के दौरान एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी मारे गए थे. किसानों ने आरोप लगाया था कि एसयूवी अजय मिश्रा टेनी की थी और उसमें उनका बेटा आशीष मिश्रा था.
सुप्रीम कोर्ट में मामले की पहली सुनवाई आठ अक्टूबर को हुई थी. हिंसा के कई दिनों के बाद आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को 9 अक्टूबर कई घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद SIT ने अपनी जांच में पाया कि किसानों को गाड़ी से कुचलने की पूरी घटना एक सोची समझी साजिश थी. फिर SIT ने आरोपियों पर लगाई गई धाराएं भी बदल दी. एसआईटी ने IPC की धाराओं 279, 338, 304 A को हटाकर 307, 326, 302, 34,120 बी,147, 148,149, 3/25/30 लगाई हैं.


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