उत्तर प्रदेश

जानिए बागपत के कजरी वन ये कहानी, परशुराम को भगवान शिव ने दिए थे दर्शन

Admin4
26 July 2022 11:03 AM GMT
जानिए बागपत के कजरी वन ये कहानी, परशुराम को भगवान शिव ने दिए थे दर्शन
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बागपत: उत्तर प्रदेश में बागपत के कजरी वन क्षेत्र को आज भी पुरामहादेव गांव (Pura Mahadev Village) के नाम से जाना जाता है। इसी कजरी वन में ऋषि जमदग्नि अपनी पत्नि रेणुका और चार बच्चों के साथ निवास करते थे, उनके पास कामधेनु गाय थी जिसकी नित नियम से सभी पूजा करते थे। कामधेनु का ही चमत्कार था कि कजरी वन में हर सुख सुविधा मौजूद थी। कथा प्रचलित है कि एक बार राजा सहस्रबाहु कजरी वन में पधारे और ऋषि जमदग्नि के आश्रम में पहुंचे। ऋषि की पत्नि रेणुना ने एक राजा की, अतिथि स्वरूप सेवा की। राजा सहस्रबाहु ने वन में संपन्नता और खुशहाली देख रेणुना से इसका कारण पुछा, रेणुका ने इसका कारण कामधेनू गाय को बताया। कामधेनू के इतने चमत्कार सुन राजा कामधेनू को अपने साथ ले जाने लगा, लेकिन ऋषि की पत्नि रेणुना ने इसका विरोध किया।

ताकत के नशे में राजा रेणुका को ही उठाकर ले गया और अगले दिन छोड़ दिया। ऋषि जमदग्नि ने रेणुका को स्वीकार करने से इंकार कर दिया और बेटों को रेणुका की हत्या करने को कहा। ऋषि के तीन बेटों ने मां की हत्या करने से इंकार कर दिया। लेकिन चौथे बेटे परशुराम (Parshuram) ने पिता की आज्ञा से मां की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया।

घोर तप के बाद मां को कराया जीवित

मां की हत्या के बाद परशुराम को पश्चताप हुआ और परशुराम ने पिता की आज्ञा पाकर कजरी वन के टीले पर भगवान शिव की आराधना की। जिस शिव की परशुराम ने पूजा की थी, वही शिवलिंग आज पुरामहादेव गांव स्थित परशुरामेशवर महादेव के नाम से दल विख्यात है। यही पर भगवान शिव ने परशुराम को दर्शन दिए और उनकी माता रेणुका को जीवित किया।

भगवान शिव के फरसे से सहस्रबाहु का वध परशुराम के तप से प्रसन्न भगवान शिव ने कजरी वन में परशुराम जी को एक फरसा भी दिया था, जो अजेय था। इसी फरसे से परशुराम जी ने राजा सहस्रबाहु का वध कर उसके कृत्य का दंड दिया था।

आज भी इस गांव में होती है कामधेनू की पूजा

गांव के लोग कथा को सत्य मानते है। यही कारण है कि कामधेनू की आज भी यहां पूजा होती है। पंड़ित राजकुमार शर्मा बताते है कि कामधेनू गाय स्वर्ग में निवास करती है, लेकिन जो गाय सफेद रंग की है, उनको भी लोग कामधेनू का ही स्वरूप मानते है और पूजा करते है। यही कारण है कि गांव में दूध, घी के साथ सभी सुख सुविधा मौजूद है। गांव के लोग भगवान शिव के साथ कामधेनू गाय की पूजा करते है। यह कामधेनु गाय समुद्र मंथन के दौरान बंद हुए 14 रत्नों में से एक थी।

हर वर्ष लाखों शिवभक्त करते है जलाभिषेक हर वर्ष फाल्गुनी और श्रावणी मास में परशुरामेश्वर महादेव मंदिर में लाखों शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते है। सैकड़ों किलोमीटर की दूरी चलकर लाखों शिवभक्त कांवड़िया पुरा महादेव गांव आते है और अपनी मनोकामना मांगते है।

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